Railway News: बिहार के इन तीन रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को मिलेगी नई सुविधा; जानिए क्या है खास Bihar Election 2025 : दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान, राजद की साख और एनडीए की परीक्षा; सबसे ज्यादा इस पार्टी के उम्मीदवार मैदान में Bihar Election 2025: महिलाओं और युवाओं की ‘दोहरी क्रांति’, रिकॉर्ड वोटिंग से बदला चुनावी समीकरण; कौन बनेगा 'X फैक्टर' Bihar Election 2025: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले नीतीश ने लालू-तेजस्वी की बढ़ा दी टेंशन, अब कैसे किला फतह? Bihar News: हमेशा के लिए ख़त्म हुई पोस्ट ऑफिस जाने की झंझट, बिहार के लोगों को अब एक क्लिक में मिलेगी डाक सेवाएं Bihar Politics : बिहार की 4 सीटों पर NDA और महागठबंधन का नया प्रयोग, देखिए नीतीश-तेजस्वी और मोदी किसे होगा फायदा Sonpur Fair: एशिया के सबसे बड़े मेले का आज होगा उद्घाटन, थियेटर से लेकर नए ब्रीड के पशु-पक्षियों को लेकर रहा है खूब चर्चित; जानिए इस बार क्या है ख़ास Bihar Election 2025 : सम्राट चौधरी बोले – जनता ने आधा आशीर्वाद दे दिया है, बाकी लेने जा रहे हैं, तेजस्वी यादव पर साधा निशाना Bihar Election 2025 : दूसरे चरण में जातीय समीकरणों की जंग, 122 सीटों पर ‘जाति बनाम जाति’ का दिलचस्प मुकाबला Bihar Crime News: 'सुनो न भाई जरा मेरी एक हेल्प कर दो...', गर्लफ्रेंड के भाई को दोस्त बना बॉयफ्रेंड करवा रहा था यह काम; अब हो गया बड़ा कांड
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 27 Sep 2025 04:07:48 PM IST
जॉली एलएलबी 3 - फ़ोटो GOOGLE
Jolly LLB 3 Controversy: बॉलीवुड फिल्म जॉली एलएलबी 3 रिलीज होते ही कानूनी विवादों में फंस गई है। फिल्म के गाने “भाई वकील है” पर पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीरज कुमार ने आपत्ति जताते हुए जनहित याचिका दायर की है। उनका कहना है कि इस गाने और कुछ दृश्यों ने न्यायालय और वकीलों की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। कोर्ट में सुनवाई के बाद फिल्म निर्माताओं को नोटिस भेजा गया, जिसके परिणामस्वरूप बिहार के सिनेमाघरों से यह गाना हटा दिया गया है।
ईटीवी भारत से बातचीत में वकील ने कहा कि अदालत न्याय का मंदिर होती है और उसे हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करना लोकतंत्र की आत्मा पर आघात है। उनका तर्क है कि फिल्म में वकीलों और जजों को जिस तरह बहस करते हुए दिखाया गया है, वह वास्तविक अदालत की कार्यप्रणाली और गरिमा के खिलाफ है। उनका मानना है कि न्यायपालिका सर्वोपरि संस्था है और फिल्म में उसका चित्रण गलत तरीके से किया गया है।
नीरज कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि सिनेमाघरों से गाना हटाना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन जब फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी तो उसमें भी यह गाना शामिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिल्म समाज का दर्पण होती है, लेकिन जॉली एलएलबी 3 में दिखाई गई बातें वास्तविकता से मेल नहीं खातीं। यही वजह है कि यह समाज को गलत संदेश देती है और न्यायपालिका की छवि धूमिल करती है।
इस संबंध में जिस प्रकार भारतीय सेनाओं पर आधारित फिल्मों को रिलीज से पहले संबंधित अधिकारियों को दिखाया जाता है, उसी तरह न्यायपालिका पर बनने वाली फिल्मों को भी रिटायर्ड जज और बार काउंसिल सदस्यों के सामने समीक्षा के लिए प्रस्तुत करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी आपत्तिजनक दृश्य या संवाद जनता तक न पहुंचे। उन्होंने कहा कि अदालत की प्रतिष्ठा से समझौता किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
पटना हाईकोर्ट के वकीलों ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि गाना हटाना अच्छी पहल है, लेकिन फिल्म में अब भी ऐसे संवाद मौजूद हैं, जिन पर आपत्ति है। उनका कहना है कि गाने को सिर्फ बिहार में बैन करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पूरे देश में इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि 17 अक्टूबर को अगली सुनवाई में उनकी कोशिश होगी कि फिल्म निर्माताओं और सेंसर बोर्ड से जुड़े अधिकारियों को अदालत में तलब कर जवाब मांगा जाए।
अधिवक्ता अमित महाराज ने भी फिल्म के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि फिल्म में वकीलों की छवि को हास्यास्पद और अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है। फिल्म में एक सीन में वकील को “क्लाइंट चोर” कहा जाता है, जो वकालत पेशे के सम्मान पर गंभीर आघात है। उनका कहना है कि इस प्रकार की फिल्में समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा को गिरा सकती हैं और आने वाली पीढ़ी इस पेशे को गंभीरता से लेना बंद कर सकती है।
वकीलों वर्ग का कहना है कि वकालत समाज के सबसे प्रतिष्ठित पेशों में से एक है और इसका अपमान पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर असर डाल सकता है। अमित महाराज ने बताया कि पटना हाईकोर्ट के सभी वकील इस मामले में एकमत हैं कि फिल्म से आपत्तिजनक संवाद और दृश्य हटाए जाने चाहिए। उन्होंने मांग रखी कि भविष्य में न्यायपालिका पर बनने वाली फिल्मों को पहले संबंधित संस्थाओं द्वारा समीक्षा के लिए भेजा जाए।
पटना हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को होगी। वकीलों की ओर से यह मांग रखी जाएगी कि फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और सेंसर बोर्ड के अधिकारियों को अदालत में बुलाया जाए और उनसे जवाब मांगा जाए। वकीलों का कहना है कि इस फिल्म ने उनके पेशे की छवि को धूमिल किया है और अब वे उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका इस मामले में सख्त कदम उठाएगी।