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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 18 Sep 2024 04:19:01 PM IST
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GAYA: बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर बिहार आ रहे हैं। पितृपक्ष मेले के बीच वो 26 सितंबर को गया जिले में आ रहे हैं। जहां 7 दिनों तक भागवत कथा करेंगे हालांकि इस दौरान दिव्य दरबार नहीं लगेगा।
बिहार के गया जिले में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले की शुरूआत हो गयी है। पितृपक्ष मेले के बीच बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री गया पधार रहे हैं। जहां दिव्य दरबार तो नहीं लगेगा लेकिन वे भक्तों के लिए भागवत पाठ जरूर करेगें। पितृपक्ष मेले को लेकर उनका आवासन गयाधाम से कई किलोमीटर दूर बोधगया में होगा। बताया जा रहा है कि पिछले साल की भांति इस वर्ष भी वे अपने भक्तों के लिए भागवत गीता का पाठ करेंगे।
26 सितंबर को बाबा बागेश्वर गया को पहुंचेंगे. बताया जा रहा है, कि बाबा बागेश्वर धाम के आचार्य जी पंडित धीरेंद्र शास्त्री 26 सितंबर को गया पधारेंगे. हालांकि उनका आवासन बोधगया में होगा. बोधगया में भागवत कथा कराएंगे. गया में रहे उनके गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार ने भी इसकी पुष्टि की है. कहा है, कि बाबा बागेश्वर के हवाले से साफ कर दिया गया है, कि वह 26 सितंबर को गया धाम पहुंचेगें और दो अक्टूबर तक तक प्रवास होगा.
बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दादा और परदादा गया धाम को आ चुके हैं. गया धाम को पहुंचकर उनके द्वारा पिंडदान किया गया था. इसका प्रमाण गयापाल पंडा के पास मौजूद है. बताया जाता है, कि फसली संवत के अनुसार 1398 में बाबा बागेश्वर के दादा गया जी को आए थे. बाबा बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दादा भगवान दास गर्ग उर्फ सेतु लाल गर्ग फसली संवत 1398 में जो कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1988 होता है, को आए थे और पितरों का पिंडदान किया था. उससे पहले उनके परदादा मुरलीधर भी गया जी को आ चुके हैं और पिंडदान कर चुके हैं. इसका प्रमाण गयापाल पंडा गजाधर लाल कटारिया के बही खाते में मौजूद है. बाबा बागेश्वर धाम के पंडा होने के कारण गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार का उड़ीसा भवन एक बार फिर से चर्चित हो रहा है.
इस संबंध में गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं, कि बाबा बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री पिछले बार यानी कि वर्ष 2023 में गया जी आए थे. वे मध्य प्रदेश के छतरपुर गढ़ा से आते हैं. उनके गयापाल पुरोहित के रूप में मैं हूं. कहा, कि उनका बागेश्वर धाम है. पिछली बार को पंडित धीरेंद्र शास्त्री आए थे. पूर्व में उनके दादा परदादा भी आ चुके हैं. पिछली बार जब बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री आए थे, तो उन्होंने संपर्क साधा था, कि कौन उनके तीर्थ पुरोहित हैं. उनके गांव जिले के अनुसार उनके पूर्वजों का बही खाता मेरे यहां है. मेरे पूर्वजों ने उनके दादा और परदादा के आगमन पर उनके पितरों के लिए पिंडदान कराया था. वही, बही खाते को देखकर पिछले साल आए बाबा बागेश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री काफी हर्षित हुए थे.
वही, बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बही खाते का दर्शन किया था और बड़े चाव से देखा था. यह भी कहा था, कि वह जो गया जी के बारे में सुनते थे, आज प्रत्यक्ष देखा. वही, बही खाते में बाबा बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने दस्तखत भी किए थे. गजाधर लाल कटरियार ने बताया कि पिछली बार वे गया में आए थे, तो भागवत कथा किया था. उनके शिष्य श्राद्ध करते हैं और हमसे संपर्क करते हैं. इस बार भी गया धाम पहुंचने के बाद पंडित धीरेंद्र शास्त्री भागवत कथा करेंगे और उनके शिष्य श्राद्ध कराएंगे.
गयापाल पंंडा गजाधर लाल कटरियार ने बताया कि 26 सितंबर को पंडित धीरेंद्र शास्त्री गया में आएंगे और बोधगया में उनका प्रवास रहेगा. उनका स्वागत है, कि वह गया जी में पधारेंगे. सनातन का उत्थान करने वाले बाबा बागेश्वर का वे स्वागत करते हैं. वह करीब एक सप्ताह तक रहेंगे, जो कि 2 अक्टूबर की तारीख तक प्रवास करने की बात बताई जाती है.
वही पितृ पक्ष मेल 2024 के दूसरे दिन कोने-कोने से देशभर के तीर्थ यात्री अपने पितरों के अर्पण तर्पण श्राद्ध पिंडदान के लिए पहुंच चुके हैं जिला प्रशासन की मान्य तो अब तक एक लाख से अधिक श्रद्धालु तीर्थ यात्री गया में पहुंच चुके हैं। तीर्थ यात्री विष्णु पाथवे से लेकर रबर दम तक करीब 2 किलोमीटर की दूरी में अपने मित्रों के निमित्त पिंडदान कर रहे हैं वही जिला प्रशासन और पुलिस की ओर की ओर से व्यवस्था की गई है विष्णुपद मंदिर से जुड़े सभी घाटों पर चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है
सिविल वॉलिंटियर्स तीर्थ यात्रियों की मदद के लिए तत्पर है वही कंट्रोल रूम से तीर्थ यात्रियों की समस्याओं का हल निकाला जा रहा है घाट पर एसडीआरएफ की टीम हाथ है वही एसडीआरएफ की टीम फल्गु नदी में वोट को दौड़ा रही है। विभिन्न राज्यों के तीर्थ यात्री पिंडदान की क्रिया प्रक्रिया में जुटे हैं उन्हें ब्राह्मण उनका पिंडदान से जुड़ा कर्मकांड करने में लगे हैं
तीर्थ यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है फल्गु नदी में तीर्थ यात्रियों के नहाने और तर्पण की बोर्ड लगी है की फल्गु नदी का जो जल है उसी से ही पितरों का तर्पण किया जाता है इस वजह से इसके पानी की मां का अधिक है पांडव की मां ने तो विभिन्न शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है।