क्या यही शराबबंदी है? पेट्रोल के टैंकर से 10 लाख की विदेशी शराब बरामद झारखंड में रेल हादसा: दीवार तोड़ खड़ी ट्रेन से टकराई मालगाड़ी, मची अफरा-तफरी Bihar News: बिहार में वोटिंग के बाद पुलिस का फ्लैग मार्च, जिला प्रशासन ने आम लोगों से की यह अपील Bihar News: बिहार में वोटिंग के बाद पुलिस का फ्लैग मार्च, जिला प्रशासन ने आम लोगों से की यह अपील Bihar Election 2025: पावर स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह के खिलाफ केस दर्ज, जानिए.. क्या है मामला? Bihar Election 2025: पावर स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह के खिलाफ केस दर्ज, जानिए.. क्या है मामला? पटना में गोल इंटरनेशनल स्कूल का भव्य शुभारंभ, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में नए युग की शुरुआत Air India Express bomb threat: एअर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट में बम की धमकी, विमान की कराई गई इमरजेंसी लैंडिग; एयरपोर्ट पर अलर्ट Air India Express bomb threat: एअर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट में बम की धमकी, विमान की कराई गई इमरजेंसी लैंडिग; एयरपोर्ट पर अलर्ट अरवल में DM अभिलाषा शर्मा ने मतगणना केन्द्र का किया निरीक्षण, स्ट्रांग रूम की सुरक्षा व्यवस्था का भी लिया जायजा
1st Bihar Published by: Updated Fri, 30 Jul 2021 08:11:39 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री कक्ष में नीतीश कुमार से शुक्रवार को मिलने गये तेजस्वी यादव से आखिरकार नीतीश कैसे मिले? विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक विधायक कहानी सुना रहे थे। नीतीश ने ऐसे तेजस्वी का स्वागत किया मानो एक दूसरे से बिछड़े चाचा भतीजा का दिल एक हो रहा हो। तेजस्वी यादव आज जातीय जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार से मिलने गये थे। अगर सही से बातों को समझा जाये तो दोनों की बातचीत का नतीजा यही निकला कि बीजेपी को बडी सियासी चोट दे देना है। अगले साल की शुरूआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है जो बीजेपी के लिए जीवण मरण का सवाल है औऱ उससे पहले जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार जो सियासत कर रहे हैं उसका निष्कर्ष यही निकल रहा है।
क्यों हुई तेजस्वी-नीतीश मुलाकात
दरअसल हर दस साल पर जनगणना होती है. 2021 में जनगणना पूरी हो जानी चाहिये थी लेकिन पिछले साल से ही कोरोना की लहर के कारण देर हुई. केंद्र सरकार ने अब प्रक्रिया शुरू की है. पिछले दिनों संसद में उठे एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि जनगणना के दौरान वह एससी-एसटी वर्ग के लोगों की गणना करायेगी लेकिन दूसरी जातियों की गिनती नहीं होगी. लेकिन बिहार की सियासत में फिलहाल आपस में धुर विरोधी दो पार्टियां अपने मतभेद भूलकर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है. राजद औऱ जेडीयू दोनों ये मांग कर रही है कि केंद्र सरकार जाति के आधार पर जनगणना कराये. लालू यादव से लेकर तेजस्वी यादव हर रोज बयान जारी कर रहे हैं तो नीतीश कुमार ट्वीट करके मांग कर रहे हैं. जेडीयू के सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जाति के आधार पर जनगणना की मांग की है.
तेजस्वी से कैसे मिले नीतीश
इसी बीच तेजस्वी यादव शुक्रवार को नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे. विधानसभा में मुख्यमंत्री का चेंबर है. वहीं राजद के साथ साथ कांग्रेस औऱ वाम दलों के विधायकों के साथ तेजस्वी नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे. पहले से मुलाकात का समय तय था. प्रतिनिधिमंडल में गये विपक्ष के एक विधायक ने फर्स्ट बिहार को बताया कि नीतीश कुमार तेजस्वी को देखते ही पहले तो मुस्कुराये औऱ इस गर्मजोशी से मिले कि कई लोग हैरान रह गये. कोरोना का समय है इसलिए गले नहीं मिले लेकिन हाथ जोडकर एक दूसरे को प्रणाम किया औऱ नीतीश कुमार ने अपने बगल में कुर्सी लगवा कर तेजस्वी यादव को बिठाया. विपक्ष के विधायक ने बताया कि उस नजारे को देखने के बाद कोई अंदाजा ही नहीं लगा सकता था कि विधानसभा के ही पिछले सत्र में तेजस्वी यादव के लिए नीतीश कुमार ने क्या क्या कहा था. या फिर तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के लिए कौन कौन से विशेषणों का प्रयोग करते रहे हैं.
तेजस्वी की हर मांग पर नीतीश सहमत
वहां बैठे लोग बताते हैं कि तेजस्वी यादव ने जितनी बातें कहीं, नीतीश ने सब पर सहमति जतायी. तेजस्वी ने कहा-आप प्रधानमंत्री से मिलिये औऱ जातिगत जनगणना कराने की मांग कीजिये. नीतीश ने कहा कि वे 2 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर समय मांगेंगे. तेजस्वी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराने को तैयार नहीं होती है तो बिहार सरकार अपने खर्च पर जातिवार गिनती कराये. उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण भी दिया. नीतीश कुमार ने तत्काल अपने अधिकारियों को कहा कि वे कर्नाटक से कागताज मंगवाये कि वहां कैसे राज्य सरकार ने जातिगत जनगणना करायी. नीतीश ने तेजस्वी को आश्वासन दिया कि अगर राज्य सरकार कानूनन ऐसा करा सकती है तो वे बिहार में भी ऐसा जरूर करायेंगे. कुल मिलाकर कहे तो तेजस्वी ने जो कहा, नीतीश ने उस पर हामी भरी.
ये कौन सा सियासी खेल है?
बीजेपी के एक वरीय नेता से फर्स्ट बिहार ने बात की. उन्होंने उदाहरण दिया-2011 में जनगणना हुई थी. तब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी औऱ लालू प्रसाद यादव उसके ताकतवर नेता हुआ करते थे. बिहार में नीतीश कुमार की ही सरकार थी. तब न लालू यादव ने जातिगत जनगणना के लिए दबाव बनाया औऱ ना ही नीतीश कुमार ने कोई मुहिम छेड़ी. क्या उस वक्त जातिगत आंकडों की जरूरत नहीं थी. अब लालू यादव औऱ उनकी पार्टी जातिगत जनगणना की मांग कर रही है तो बात समझ में आती है. वे बीजेपी को जाति की सियासत से मात करना चाह रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार अगर लालू यादव के एजेंडे में बढ़ चढ कर शामिल हैं तो ये बेमकसद नहीं है.
यूपी चुनाव में चोट देना चाहते हैं नीतीश
सियासी जानकार बताते हैं कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की शुरूआत से ही नीतीश कुमार बीजेपी से बुरी तरह खार खाये बैठे हैं. विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में नीतीश की नहीं चली. बीजेपी ने आधी-आधी सीटें बंटवा ही ली. नीतीश उसी समय बौखलाये. बाद में जब चुनाव परिणाम आया तो नीतीश चारो खाने चित्त हो गये. नीतीश कुमार अपनी जुबान से भले ही ना बोलें लेकिन उनकी पार्टी के नेता खुलकर बोलते हैं कि उन्हें हराने की साजिश हुई. वे नीतीश के मन की ही बात बोलते हैं.
नीतीश कुमार को जानने वाले जानते हैं कि वे बदला लेने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं. फिलहाल बिहार में बीजेपी के साथ बने रहना उनकी सियासी मजबूरी है. राजद अब तक उनका साथ देने को तैयार नहीं है. लिहाजा सत्ता में रहना है तो बीजेपी के साथ रहना होगा. नीतीश सिर्फ औऱ सिर्फ इसी कारण बीजेपी के साथ रह रहे हैं. वर्ना केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भी वे बीजेपी से खासे नाराज हुए. लेकिन बीजेपी के साथ रहकर भी उसे नुकसान पहुंचाने की कोई कोशिश वे छोड नहीं रहे हैं.
बिहार का असर यूपी पर
जेडीयू के एक नेता ने बताया कि फिलहाल नीतीश कुमार को बिहार की सियासत की फिक्र नहीं करनी है. बिहार में अभी कोई भी चुनाव होने में अभी तीन साल की देर है और अभी उठने वाला मुद्दा चुनाव आते आते कहां दफन हो जायेगा ये किसी को पता भी नहीं चलेगा. मामला तो उत्तर प्रदेश चुनाव का है जहां 6-7 महीने बाद चुनाव होना है. नीतीश की नजर वहीं है. दरअसल बिहार औऱ उत्तर प्रदेश की सामाजिक बनावट कई मायने में एक जैसी है. वहां भी जाति ही वोट दिलाता है. नीतीश कुमार जातिगत जनगणना के मसले पर लगातार बीजेपी औऱ केंद्र सरकार को घेर कर इस मसले को उत्तर प्रदेश में गर्म करना चाहते हैं. लालू हों या नीतीश दोनों का तात्कालिक लक्ष्य यही है कि उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना मुद्दा बने औऱ कहीं न कहीं बीजेपी पिछड़ा विरोधी साबित हो. अगर ऐसा होता है तो फिर वहां बीजेपी का खेल भी खत्म हो जायेगा.
बीजेपी की बेबसी
नीतीश की पॉलिटिक्स तो समझ में आती है लेकिन बिहार में बीजेपी की बेबसी भी कम दिलचस्प नहीं है. बीजेपी सब समझ रही है कि नीतीश कौन सा खेल रहे हैं. लेकिन वह नतमस्तक है. इससे पहले भी नीतीश ने तेजस्वी के साथ मिलकर विधानसभा से एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करा लिया था तो बीजेपी चुपचाप मुंह देखती रह गयी थी. इस दफे भी चुपचाप अपना नुकसान होते देख रही है. शायद बीजेपी के नीति निर्धारकों को नीतीश से निपटने की कोई योजना समझ में नहीं आ रही है या फिर उन्हें लग रहा है कि खामोश रहकर इस स्थिति से निपटा जा सकता है. लिहाजा जातीय जनगणना के मामले पर बीजेपी के किसी नेता को जुबान नहीं खोलने की सख्त हिदायत दे दी गयी है.