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आखिर क्यों नीतीश हैं BJP की मजबूरी? शाह- मोदी की एक चाल से बदल गई बिहार से पूर्वांचल तक की राजनीतिक तस्वीर

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 05 Feb 2024 07:48:09 AM IST

आखिर क्यों नीतीश हैं BJP की मजबूरी? शाह- मोदी की एक चाल से बदल गई बिहार से पूर्वांचल तक की राजनीतिक तस्वीर

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PATNA : बिहार में हाल ही के दिनों में हुए राजनीतिक उलटफेर को लेकर अब कई तरह के सियासी समीकरण निकाले जा रहे हैं। कुछ लोग इसे नीतीश कुमार की सोची समझी रणनीति बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे भाजपा आलाकमान के तरफ से लालू परिवार को लेकर तैयार की जाने वाली हमलावर रणनीति बता रहे हैं। इन सबके के बीच एक और रोचक और अहम चीज़ जो नजर आती है वो है आखिर क्यों नीतीश कुमार भाजपा की जरूरत और मजबूरी दोनों हैं। 


नीतीश के आने से मजबूत हुई यह पार्टी 

दरअसल, बिहार में हुए इस राजनीतिक उलटफेर का लाभ न सिर्फ यहां के 40 लोकसभा सीटों पर मिलेगा बल्कि इसका फायदा न यूपी के पूर्वांचल में भाजपा व उसके सहयोगी दलों को मिल सकता है। नीतीश कुमार के एनडीए का हिस्सा बन जाने के बाद से भाजपा के साथ ही एनडीए के घटक दलों के कंधे से कुर्मी मतों का बिखराव रुकने  की पूरी संभावना है। भाजपा की इस तरकीब से सबसे बड़ी राहत भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) को मिली है। जिसकी एक मजबूत पकड़ कुर्मी बिरादरी में मानी जाती है।

यूपी में चुनाव लड़ने की हो रही थी बात 

मालूम हो कि, नीतीश कुमार जब तक विपक्षी खेमे में थे, तब तक बार-बार विपक्ष यह रणनीति बना रहा था कि पूर्वांचल के कुर्मी बाहुल्य सीटों पर उन्हें मैदान में लाया जाए। नीतीश कुमार को पूर्वांचल की किसी सीट से प्रत्याशी तक बनाए जाने की कवायद भी चल रही थी। इसकी वजह ये थी कि बिहार से सटा होने के कारण पूर्वांचल के कुर्मी बिरादरी के लोग नीतीश से अधिक जुड़ाव रखते हैं। 

सपा ने दी थी भाजपा को मात 

बीते विधानसभा चुनावों में माना जा रहा था कि कुर्मियों का वोट बाराबंकी से लेकर अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर और अंबेडकरनगर में समाजवादी पार्टी के साथ चला गया था। साथ ही माना जा रहा था कि अपना दल (कमेरावादी) की कृष्णा पटेल के सपा में जाने से भी सपा को लाभ हुआ था।  ऐसे में अगर पुरानी स्थिति ही बनी रहती तो भाजपा और उसके साथी दलों के लिए मुश्किलें बनी रहने की संभावना थी। लेकिन, अब नीतीश कुमार के साथ आने से एनडीए गठबंधन के सामने कुर्मी मतों के बिखराव बहुत हद तक रूक जाएगा। 

कुर्मी समाज से 41 विधायक और आठ सांसद

आपको बताते चलें कि, यूपी में इस समय कुर्मी समाज से 41 विधायक और आठ सांसद हैं। केंद्र सरकार में यूपी से इस बिरादरी से अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी राज्यमंत्री हैं। यूपी सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री हैं। कुर्मी बिरादरी के नेताओं के मुताबिक यूपी की 33 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर कुर्मी मतदाताओं की संख्या अधिक है। इन सीटों में पूर्वांचल की प्रयागराज, फूलपुर, प्रतापगढ़, बस्ती, डुमरियागंज, जौनपुर, मछलीशहर, कुशीनगर, महाराजगंज, मिर्जापुर, वाराणसी, अयोध्या सीट पर कुर्मी बिरादरी बहुत मजबूत मानी जाती है। इसके अलावा बुंदेलखंड, रुहेलखंड क्षेत्र की भी कई सीटों पर इस बिरादरी का अधिक प्रभाव है।