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बालू माफिया पर कसेगी नकेल, अब ऑनलाइन होगी घाटों की निगरानी; तैयारी पूरी

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 07 Jun 2024 07:26:26 AM IST

बालू माफिया पर कसेगी नकेल, अब ऑनलाइन होगी घाटों की निगरानी; तैयारी पूरी

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PATNA : बिहार में अवैध बालू खनन करने वाले बालू माफिया की अब खैर नहीं। सरकार इसके लिए फुलप्रूफ प्लान बना रही है। सरकार अब इसको लेकर ऑनलाइन निगरानी की तैयारी कर रही है। दरअसल, सोन नदी के पूरे तट की गूगल से मैपिंग होगी। बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए विभाग ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था करने जा रहा है। खान एवं भूतत्व विभाग चौकसी बरतने की कर रहा तैयारी कर रहा है। 


मालुम हो कि, पटना से लेकर रोहतास तक सोन नदी तटबंध की लंबाई करीब 150 किमी है। गूगल के ऑनलाइन मैप की मदद से पूरे इलाके की सघन फोटोग्राफी करवाई जाएगी। इसके साथ ही बालू के अवैध खनन की अधिक संभावना वाले स्पॉट को चिह्नित किया जाएगा। इन स्थलों का गूगल की मदद से को-ऑर्डिनेट (अक्षांश एवं देशांतर बिन्दु) भी लिया जाएगा। इससे अवैध खनन वाले स्पॉट को चिह्नित करने में मदद मिलेगी। इसका लाभ यह होगा कि त्वरित कार्रवाई के लिए इन स्थानों तक गूगल मैप या जीपीएस की मदद से आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इन सभी चुनिंदा स्थलों पर कैमरे लगाए जाएंगे। 


इन्हें विभाग में मौजूद कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से जोड़ा जाएगा। इससे सभी संवेदनशील स्थानों की समुचित निगरानी हो सकेगी। इन कैमरों को सैटेलाइट या मोबाइल के जरिए जोड़कर निगरानी करने की व्यवस्था बहाल करने पर भी विचार किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर विभाग मंथन करने में जुटा है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। खनन विभाग को इसी नदी घाट से सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है।


जानकारी हो कि बीते वित्तीय वर्ष में बालू खनन से करीब 3300 करोड़ रुपये के राजस्व की वसूली की गई थी। इसमें 50 से 55 फीसदी राजस्व इसी नदी घाटों से आता था। पूरे राज्य में रोजाना करीब 50 से 55 हजार चालान जारी होता है। इसमें करीब आधे चालान इन इलाकों के होते हैं। एक बालू लदे वाहन के लिए एक चालान जारी किया जाता है। यह ट्रक या ट्रैक्टर भी हो सकता है।


आपको बताते चलें कि, सोन नदी का बालू सबसे बेहतरीन माना जाता है। यह बालू हल्का लाल और सुनहरे रंग का होता है। ढलाई और प्लास्टर दोनों के लिए काफी उपयुक्त है। इसकी मांग सबसे ज्यादा है। इसकी कीमत भी गंगा की सफेद रेत से दो से ढाई गुणा अधिक होती है। इसके करीब 130 से 140 घाटों पर अभी खनन कार्य चल रहा है।