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1st Bihar Published by: Updated Sat, 18 Sep 2021 04:40:41 PM IST
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PATNA : बिहार में अब किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने के पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. सरकार ने इसको लेकर नया आदेश जारी किया है. सरकार ने कहा है कि सभी मामले आपराधिक नहीं हो सकते. इस मामले में स्पष्ट है कि नियोजक सरकार है तो सरकार ही कार्रवाई की प्रकृति तय करेगी.
आपको बता दें कि बिहार सरकार के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले सरकार से इजाजत जरूरी है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने राज्य के सभी आरडीडीई, सभी डीईओ और सभी डीपीओ को बिहार सरकार के एक पुराने आदेश का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध मुकदमा या प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक ही कार्रवाई की जाए.
संजय कुमार ने 2008 में तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह के पत्र का हवाला देते हुए निर्देश दिया है कि किसी विभाग या संगठन से संबंधित किसी पदाधिकारी या कर्मी के द्वारा कोई ऐसा काम किया गया है जिसमें विभाग/संगठन/सरकार को क्षति हुई है, तब ऐसी परिस्थिति में संबंधित विभाग या संगठन के प्रधान के परामर्श से ही आपराधिक मामला दर्ज होगा.
प्राथमिकी दर्ज करने के समय यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि आरोपित सरकारी अधिकारी/कर्मी का दोष आपराधिक प्रवृत्ति का है. सरकारी अधिकारी/कर्मी के कार्यकलाप से यदि सरकार को क्षति होती है तो सरकार जो कि नियोजक है, उसी को यह अधिकार प्राप्त है कि वह उस कर्मी पर किस प्रकार की कार्रवाई करे.
जानकारी हो कि 2008 में गृह विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह ने आदेश जारी किया था कि सरकारी अधिकारी या कर्मचारी राज्य सरकार के अंग हैं. इसलिए यदि किसी के कार्यकलाप से सरकार को हानि होती है तो सरकार को ही यह अधिकार है कि वह उस कर्मचारी या अधिकारी पर किस प्रकार की कार्रवाई करें. क्योंकि उसकी नियोजक यानी एंपलॉयर सरकार है.