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1st Bihar Published by: Updated Sun, 07 Nov 2021 09:08:26 AM IST
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PATNA : बिहार के स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ की भारी कमी हो गई है. दरअसल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधन में ओवरऑल 53.21 प्रतिशत का गैप है. इसका मतलब यह है कि विभाग में जितने लोगों की जरूरत है उससे 53.21 प्रतिशत कम लोग काम कर रहे हैं. इस मामले में बिहार फिलहाल टॉप पर है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधन में इतना ज्यादा गैप किसी और राज्य में नहीं है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी रिपोर्ट में बिहार के बाद दूसरे नंबर पर ओडिशा है. यहां 51.29 प्रतिशत का गैप है, जबकि झारखंड 51.13 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. बिहार की बात की जाए तो यहां स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, मेडिकल ऑफिसर, तथा स्पेशलिस्ट, आईपीएचएस नॉर्म्स के अनुसार नहीं हैं. सबसे अधिक 77.79 प्रतिशत गैप लैब टेक्निशयन तथा 71.68 प्रतिशत गैप फार्मासिस्ट में है. यानि जरूरत के हिसाब से बिहार में पर्याप्त मानव संसाधन नहीं हैं.
एनएचएम की इस रिपोर्ट में मानव संसाधन के गैप को भरने के लिए उपाय भी सुझाया गया है. एनएचएम ने आईपीएचएस 2012 के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाओं में पदों का सृजन, उपलब्धता और आवश्यकता आधारित तैनाती सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञ संवर्ग का निर्माण, परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग, स्किल असेसमेंट, परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव, फिक्सड टेन्योर पोस्टिंग करने का सुझाव दिया है.
आईपीएचएस का मानक कहता है कि 100 बेड के अस्पताल में 29 डॉक्टर, 45 स्टाफ नर्स तथा 31 पारामेडिकल स्टाफ होने चाहिए. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) एन ओवरव्यू शीर्षक से जारी रिपोर्ट में एनएचएम के तहत हो रहे कार्यों, खामियों और आनेवाले वर्षों में लक्ष्य को निर्धारित किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार बिहार ने इंडिया कोविड-19 इमर्जेंसी रेस्पांस एंड हेल्थ सिस्टम्स प्रिपेयर्डनेस पैकेज (ईसीआरपी) फेज 1 की डिटेल्स गलत अपलोड की है. बिहार उन 25 राज्यों में है जिन्होंने गलत रिपोर्ट या अधूरी रिपोर्ट अपलोड की है. डिटेल्स अपलोड करने में एंटी करप्शन अंडरटेकिंग डॉक्यूमेंट्स का गलत फॉर्मेट उपयोग किया गया है. राज्यों को कहा गया है कि वे समय सीमा के अंदर सही कर इसे अपलोड करें.
इसके अलावा बिहार में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) जरूरत के हिसाब से 79 प्रतिशत कम है. बिहार उन तीन राज्यों में है जहां 75 प्रतिशत के करीब गैप है. बिहार में कुल 5437 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं, इनमें 1148 सीएचओ नियुक्त हैं. 4289 सीएचओ की कमी है. इस गैप को खत्म करने के लिए मार्च 2022 तक राज्य के 4289 सीएचओ चाहिए.