Bihar Bhumi: चकबंदी वाले गांवों में भू-अर्जन राशि किसे मिलेगी ? राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के ACS ने सभी DM को भेजा पत्र..दिया यह निर्देश,जानें...

मि सुधार विभाग ने चकबंदी किए गए गांवों में भू-अर्जन से जुड़ी जटिलताओं को सुलझाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब मुआवजा खतियान या जमाबंदी के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक कब्जाधारी को दिया जाएगा। इससे विकास परियोजनाओं को गति मिलने की उम्मीद है।

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Thu, 17 Jul 2025 05:15:24 PM IST

चकबंदी गांव भू-अर्जन बिहार  खतियान जमाबंदी विवाद समाधान  असली कब्जाधारी को मुआवजा  भूमि सुधार विभाग बिहार  Bihar Land Acquisition New Rule  Chakbandi village land dispute  Bihar Rajस्व विभाग आदेश

- फ़ोटो Google

Bihar Bhumi: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने चकबंदी किए गए गांवों में भू-अर्जन की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न जटिलताओं के समाधान की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलों के समाहर्ताओं को निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में जहां खतियान, जमाबंदी और दखल कब्जा में अंतर है, वहां वास्तविक कब्जाधारी रैयत को ही मुआवजा दिया जाएगा।

बिहार चकबंदी अधिनियम, 1956 के तहत राज्य के 5657 गांवों में चकबंदी की कार्रवाई प्रारंभ की गई थी। इनमें से 2158 गांवों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। बावजूद इसके कई स्थानों पर रैयतों का कब्जा अब भी पुराने सर्वे खतियान (सीएस/आरएस) के आधार पर बना हुआ है जबकि चकबंदी खतियान एवं पंजी-2 की जमाबंदी अद्यतन हो चुकी है।

अपर मुख्य सचिव के अनुसार ऐसे कई मामलों में चकबंदी खतियान, ऑनलाइन जमाबंदी और जमीन पर वास्तविक कब्जा, इन तीनों में मेल नहीं होने के कारण भू-अर्जन के भुगतान में अड़चनें आ रही हैं। इससे विभिन्न विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

इस स्थिति के समाधान के लिए जारी निर्देश में कहा गया है कि जिस खेसरे या खेसरा अंश का भू-अर्जन किया जा रहा है, उस पर वास्तविक रूप से कब्जा रखने वाले व्यक्ति को ही हितबद्ध रैयत मानते हुए भुगतान किया जाएगा। बशर्ते वह अतिक्रमणकर्ता न हो और उसका दावा पूर्ववर्ती खतियान या उसपर आधारित लेन-देन से प्रमाणित हो।जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे ऐसे मामलों में आत्मभारित आदेश पारित करें, जिसमें स्पष्ट किया जाए कि किन आधारों पर वास्तविक कब्जाधारी को भुगतान किया गया है, भले ही वह खतियान या जमाबंदी से मेल न खाता हो।

इस पर विधिक परामर्श भी प्राप्त कर लिया गया है और संबंधित अधिनियमों में संशोधन की प्रक्रिया जारी है। संशोधन की प्रतीक्षा किए बिना फिलहाल यह अंतरिम समाधान लागू किया गया है ताकि विकास कार्यों की गति प्रभावित न हो।