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1st Bihar Published by: Updated Thu, 04 Jun 2020 10:40:59 PM IST
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PATNA : कोरोना संकट के बीच लाखों की तादाद में प्रवासी वापस बिहार लौटे हैं। सरकार ने इन प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराने का भरोसा दिया है। लगातार स्किल डेवलपमेंट सहित अन्य तरीकों से प्रवासियों को रोजगार देने की योजना बनाई जा रही है लेकिन अब तक सरकार का ध्यान कृषि क्षेत्र में परंपरागत खेती से अलग फार्मिंग के विकल्प पर नहीं गया है। मुर्गी पालन रोजगार सृजन के मामले में एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। बिहार में मुर्गी पालन की सक्सेस स्टोरी किसी से छिपी नहीं है बीते 4 सालों में बिहार के अंदर मुर्गी पालन के क्षेत्र में जो विकास हुआ है वह अभूतपूर्व है। मार्च 2016 में बिहार के अंदर मुर्गियों की जनसंख्या तकरीबन 2.26 लाख थी। इसके बाद इस क्षेत्र में काम करने वाले ग्रासरूट वर्कर्स ने अभियान चलाया और उसका नतीजा अब सामने है। 4 फरवरी 2019 तक बिहार में मुर्गियों की जनसंख्या 54 लाख से ऊपर हो चुकी थी। कोरोना संकट के कारण इस साल आंकड़े सामने नहीं आ सके लेकिन बिहार के सभी 38 जिलों में मुर्गी पालन क्षेत्र से जुड़े किसान लगातार बेहतरीन नतीजे दे रहे हैं।
बिहार जैसे राज्य में जहां उद्योग धंधे का घोर अभाव है। निवेशकों का आकर्षण अब तक के बिहार की तरफ नहीं हो पाया है और नए कल कारखानों की इकाई नहीं लगी है वैसी स्थिति में कृषि प्रधान राज्य के अंदर मुर्गी पालन सहित इस तरह के विकल्प रोजगार सृजन की दिशा में सरकार के लिए वरदान साबित हो सकते हैं। जरूरत इस बात की है कि सरकार मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए इस सेक्टर की तरफ अपना ध्यान केंद्रित करें कृषि आधारित स्वरोजगार से बिहार को फायदा होगा और साथ ही साथ इस पिक्चर में अन्य प्रवासियों को रोजगार भी मिल पाएगा। सरकार ने मखाना से लेकर मद तक के उत्पादन पर अपना ध्यान फोकस किया है लेकिन इनके साथ साथ मुर्गी और अंडे के कारोबार से भी बिहार को बड़ा फायदा हो सकता है।
कोरोना संकट के बीच बिहार में मुर्गी पालन करने वाले किसानों ने बड़े धैर्य के साथ मुश्किल वक्त को निकाला है। अब उनकी नजरें सरकार की तरफ टिकी हुई हैं। इस सेक्टर से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि सरकार मुर्गी पालन और अंडा व्यवसाय को लेकर अपनी नीतियों में कुछ बड़े ऐलान करेगी। क्षेत्र से जुड़े जानकारों की राय है कि मुर्गी पालन के एक फॉर्म हाउस में तकरीबन आधा दर्जन लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। बिहार में पिछले 4 सालों के अंदर क्षेत्र में जिस रफ्तार से विकास हासिल किया है उसे देखते हुए अगर राज्य सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं बदली तो बेहतरीन नतीजे सामने आ सकते हैं