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1st Bihar Published by: Updated Fri, 04 Dec 2020 09:42:40 AM IST
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DELHI: सजायाफ्ता नेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी वाली याचिका का केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है. सरकार ने कहा कि सजायाफ्ता नेताओं को आजीवन चुनाव लड़ने से रोका नहीं जा सकता है.
याचिकाकर्ता के वकील ने दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की. उनका तर्क था कि जब कोई आपराधिक मामले में दोषी कर्मचारी आजीवन सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाता है तो ऐसा राजनेताओं के मामले में क्यों नहीं है. जिसका केंद्र सरकार ने विरोध किया.
विरोध में केंद्र सरकार
कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में जो जवाब दिया है उसमें बताया गया है कि जनसेवक और राजनेताओं में कोई अंतर नहीं है, लेकिन जनप्रतिनिधियों के सेवा नियम में इस तरह का कोई नियम नहीं है. जिससे उनको चुनाव लड़ने आजीवन रोका जाए. जिस तरह से अपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जनसेवक की सेवा आजीवन खत्म कर दी जाती है उसी तरह का नियम जनप्रतिनिधियों पर भी लागू होना चाहिए. वर्तमान में जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के अनुसार दोषी ठहराए गए नेता को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है. छह साल की अवधि बीतने के बाद वे चुनाव लड़ने के योग्य हो जाते हैं.