DESK: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है। सूर्योपासना के 4 दिवसीय इस पर्व को लेकर शनिवार को व्रतियों ने निष्ठा के साथ खरना की पूजा अर्चना की। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ व्रतियों ने निर्जला उपवास शुरू किया। छठ में खरना पूजा का विशेष महत्व होता है। पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ व्रतियां खरना का प्रसाद बनाती है।
मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाने की परंपरा है। व्रती पूजा के दौरान बने प्रसाद का भोग लगाती है। खरना पूजा के बाद से ही व्रतियों द्वारा प्रसाद का वितरण किया जाता है। इसका विशेष महत्व माना जाता है। इसको लेकर व्रतियों के साथ ही लोग खरना की पूजा का प्रसाद निश्चित रूप से ग्रहण करते हैं।
आज शाम छठव्रति डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देगी। छठ पर्व में प्रसाद के तौर पर ठेकुआ चढ़ाया जाता है जिसे बनाने में छठव्रति जुट गई है। ठेकुआ, फल और फुल के साथ आज शाम छठव्रति अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगी।
खरना के बाद अब छठ घाटों पर तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। खरना की पूजा के साथ ही रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में लोग जुट गये हैं। सोमवार को उदयगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य के साथ इस पर्व का समापन हो जाएगा। कोरोना गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए छह पर्व मनाने की अपील सरकार के द्वारा की गई है। घरों में ही छठ पर्व करने एवं अर्घ्य देने की अपील की जा रही है। लोक आस्था के इस महापर्व को लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है।