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चिराग, मांझी, गिरिराज और ललन सिंह ने संभाली मंत्रालयों की जिम्मेदारी : जानिए देश के विकास में कैसे देंगे अपना योगदान

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 12 Jun 2024 08:08:15 AM IST

चिराग, मांझी, गिरिराज और ललन सिंह ने संभाली मंत्रालयों की जिम्मेदारी : जानिए देश के विकास में कैसे देंगे अपना योगदान

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PATNA : एनडीए की नई सरकार बनने के बाद मंत्रालयों और विभागों का बंटवारा भी हो गया है। इस बार भी सरकार का स्वरूप लगभग पहले जैसा ही है। कैबिनेट में शामिल घटक दलों के नए चेहरों को भी बड़े बजट वाले विभाग दिए गए हैं। कैबिनेट में कुल 55 मंत्रालयों (स्वतंत्र प्रभार समेत) का बंटवारा किया गया है। इनमें 30 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और 5 स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री हैं। इसमें से कई मंत्रियों को दो से तीन मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। 


नई कैबिनेट में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पास कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और वे सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दे और अन्य सभी विभाग अपने पास रखे हैं, जो किसी अन्य मंत्री को आवंटित नहीं किए गए हैं। ऐसे में एनडीए के सहयोगी LJP (रामविलास) चीफ चिराग पासवान को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, HAM चीफ जीतनराम मांझी को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय, JDU के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को पंचायती राज और मछलीपालन, पशुपालन, डेयरी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि TDP नेता के राम मोहन नायडू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय, JDS नेता एचडी कुमारस्वामी को इस्पात और भारी उद्योग मंत्रालय की कमान दी गई है। ऐसे में लोगों के बीच चर्चा यह है कि इन मंत्रालयों का काम क्या होता है। 


सबसे पहले बात करते हैं पंचायती राज मंत्रालय और मछली पालन, पशुपालन, डेयरी मंत्रालय की तो इन दोनों मंत्रालयों की जिम्मेदार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को मिली है। पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज और पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। इसे मई 2004 में गठित किया गया था। यह ग्रामीण स्थानीय निकायों को नागरिक कार्यक्रमों जैसे सड़कों, फुटपाथ, पुलों, जल निकासी सिस्टम, पार्कों, पाइप जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइट आदि के रख-रखाव और निर्माण के लिए अनुदान मुहैया कराता है।


वहीं, पशुपालन और डेयरी विभाग का नाम बदलकर अब पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय कर दिया गया है। पहले यह कृषि मंत्रालय के विभागों में शामिल था। यह विभाग पशुधन उत्पादन, संरक्षण, बीमारियों से उनकी सुरक्षा, पशुधन में सुधार और डेयरी विकास से संबंधित मामलों के साथ-साथ दिल्ली दुग्ध योजना (डीएमएस) और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) से संबंधित मामलों को संभालता है। 


सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय (MSME) को विकास के इंजन के रूप में जाना जाता है। यह विभाग कम पूंजी निवेश के साथ उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है और रोजगार उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय अवसर सृजित करता है। यह देश के समावेशी औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। MSME घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए कई तरह के उत्पादों का उत्पादन और निर्माण भी करता है। 


खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसका निर्यात में 13 प्रतिशत और औद्योगिक निवेश में 6 प्रतिशत का योगदान है। इस क्षेत्र ने पर्याप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। भारत बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों से खाद्य प्रसंस्कृत उत्पाद आयात करता है। अगर देश में फूड प्रोसेसिंग पर ठीक से काम किया जाए तो हमारी दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी और यहां किसान और व्यवसायों से जुड़े लोगों को सीधे इसका लाभ मिल सकेगा। 


उधर, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के जरिए किसानों को अतिरिक्त मुनाफा कमाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। कृषि उत्‍पादकता में बढ़ोतरी होगी, जिससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। नई आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे। साथ ही खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। कृषि में विविधता को भी बढ़ावा मिलता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें व्यापक स्तर पर कारोबारी निवेश की संभावना है। 


नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी के राम मोहन नायडू को मिली है। भारत विमानन उद्योग में वैश्विक तौर पर सबसे तेज गति से विकास करने वाला सेक्टर है। इस सेक्ट‍र में तेजी से बदलाव आया है। नागर विमानन उद्योग की मूल शुरुआत वर्ष 1912 में हुई थी। नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर देश में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी है। यह मंत्रालय स्वायत्त संगठन जैसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी और संबद्ध सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम जैसे एयर इंडिया लिमिटेड, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है।