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बिहार में कोरोना के इलाज का सच: 10 दिनों से अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं आया, आक्सीजन खत्म हुआ, नाराज मरीज हॉस्पीटल में धरना पर बैठा

1st Bihar Published by: Updated Sun, 02 Aug 2020 07:59:25 AM IST

बिहार में कोरोना के इलाज का सच: 10 दिनों से अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं आया, आक्सीजन खत्म हुआ, नाराज मरीज हॉस्पीटल में धरना पर बैठा

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DARBHANGA : दरभंगा में कोरोना के इलाज के लिए बनाये गये सरकारी अस्पताल के वार्ड में धरना पर बैठ गये इस मरीज की कहानी बिहार में सरकारी दावों की असलियत उजागर करने के लिए काफी है. दरभंगा के सरकारी अस्पताल में भर्ती इस मरीज को पिछले 10 दिनों में कोई डॉक्टर देखने तक नहीं आया. फोन पर भी कोई हाल-चाल नहीं पूछा गया. दो दिन पहले ऑक्सीजन सिलेंडर से गैस खत्म हो गया. मजबूर मरीज को कोरोना वार्ड में इलाज के लिए धरना पर बैठ जाना पड़ा.


दरभंगा के सरकारी अस्पताल में धरना पर बैठे मरीज ने कहा कि कोरोना संक्रमित होने के बाद वे पिछले 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन एक भी डॉक्टर पिछले 10 दिनों में एक बार भी कोरोना वार्ड के कमरा संख्या 15 में नहीं आए हैं. वार्ड में आना तो दूर किसी डॉक्टर ने फोन पर ही उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी नहीं ली है. मरीजों को डॉक्टरों से कोई निर्देश नही मिल रहा है. जो खुद से बच गया वो बच गया, डॉक्टर किसी मरीज को बचाने की कोई कोशिश करने को तैयार नहीं हैं.

ऑक्सीजन खत्म हुआ लेकिन फिर मिला नहीं

मरीज ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्हें एक ऑक्सीजन सिलेंडर दिया गया था. उसका गैस दो दिन पहले खत्म हो गया. दो दिन से वे लगातार वार्ड में आने वाली नर्स या दूसरे अस्पताल कर्मचारियों से गैस उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई बात सुनने तक को तैयार नहीं है. 

घंटो पड़े रहे दो शव

दरभंगा के इसी अस्पताल में कोरोना से दो लोगों की मौत हो गयी. दोनों का शव 18 घंटे तक वार्ड में पडा रहा और उसके साथ ही वहां भर्ती दूसरे मरीजों को रहना पड़ा. कोई लाश उठाने वाला तक नहीं था. ऐसे में अब अस्पताल में भर्ती रहने का मतलब मरना ही है. दरभंगा के सरकारी अस्पताल में धरना देने वाले मरीज ने बताया कि उन्होंने जबरन हो हल्ला कर अपना डिस्चार्ज स्लिप बनवा लिया है. अब इस अस्पताल में रहने से बेहतर घऱ पर रहकर मर जाना है. वे घऱ जायेंगे लेकिन इससे पहले सरकारी अस्पताल की कहानी को लोगों के बीच लाना चाहते हैं. इसलिए धरना पर बैठे हैं.