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डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मासूम की गई जान, शव वाहन नहीं मिला तो बाइक से लाश ले गये परिजन

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 17 Aug 2024 04:57:48 PM IST

डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मासूम की गई जान, शव वाहन नहीं मिला तो बाइक से लाश ले गये परिजन

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NALANDA: कोलकाता में रेप के बाद महिला डॉक्टर की हत्या कर दी गयी थी। इस घटना को लेकर देशभर में डॉक्टरों ने हड़ताल कर रखा है। देशव्यापी हड़ताल का असर अस्पतालों में देखने को मिल रहा है। इस हड़ताल ने बिहार के नालंदा जिले में एक बच्चे की जान ले ली। 


पानी में डूबने के बाद बच्चे को लेकर परिजन बिहारशरीफ सदर अस्पताल पहुंचे थे लेकिन इमरजेंसी वार्ड में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। इलाज समय पर नहीं होने के कारण बच्चे ने दम तोड़ दिया। अस्पताल में शव वाहन नहीं होने के कारण परिजन बाइक से ही बच्चे की लाश को ले गये। 


इमरजेंसी वार्ड में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं रहने के कारण बच्चे का इलाज समय पर नहीं हुआ और उसकी मौत हो गयी। परिजनों ने अस्पताल के गार्ड से डॉक्टर के संबंध में पूछा था तब बताया गया कि डॉक्टर साहब पोस्टमार्टम करने गए हुए हैं। जिसके बाद बच्चे को एसएनसीयू वार्ड में ले जाया गया वहां भी कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। 


डॉक्टर के अस्पताल में नहीं रहने के कारण इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो गयी। मौत के बाद शव ले जाने के लिए अस्पताल में कोई शव वाहन भी नहीं मिला जिसके बाद परिजन बाइक से शव को ले गये। मृत बच्चे की पहचान नालंदा थाना क्षेत्र के बिद्दुपुर गांव निवासी सोनू भारती के 3 वर्षीय पुत्र टुग्गु के रूप में हुई है। 


टुग्गु बिद्दुपुर गांव के तालाब में डूब गया था जिसे निकालकर इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था। लेकिन डॉक्टर के हड़ताल पर रहने के कारण इमरजेंसी वार्ड में एक ही डॉक्टर मौजूद नहीं थे। जो थे वो पोस्टमार्टम करने में लगे थे जिसके कारण काफी देरी से इलाज शुरू हुआ लेकिन वो बचा नहीं पाये। इलाज में देरी के कारण बच्चे ने दम तोड़ दिया। 


सबसे बड़ी बिडंबना तो यह रही कि मौत के बाद बच्चे को शव वाहन भी नसीब नहीं हुआ। परिजन शव को मोटरसाइकिल से ले गये और अस्पताल के डॉक्टर, अधिकारी और कर्मचारी तमाशबीन बने रहे। इस मामले पर नालंदा के सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सदर अस्पताल में एक ही शव वाहन है।