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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Sep 2024 10:20:04 AM IST
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PATNA : बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी राजद इन दिनों बिहार सरकार पर हमलावर है। बीते कल ही तेजस्वी यादव की नेतृत्व में राजद ने पटना सहित बिहार के 38 जिलों में आरक्षण को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद अब सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल किसान प्रकोष्ठ की ओर से राजभवन मार्च किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक राजभवन मार्च कर किसान प्रकोष्ठ के नेता राज्यपाल विश्वनाथ अलर्कर को 14 सूत्री मांग पत्र सौंपेंगे। इसकी जानकारी राजद किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. गोपाल कृष्ण चंदन ने की है। उन्होंने कहा कि, बिहार की लगभग 76 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। केन्द्र और राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण बिहार में खेती-किसानी से जुड़े लोग बदहाल है और दिन प्रतिदिन आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि राजद किसान प्रकोष्ठ की 14 सूत्री मांग में शामिल है कि देश के प्रत्येक राज्य में एक समान न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति लागू हो। छत्तीसगढ़ की तरह बिहार में भी धान की खरीदगी 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर हो। साथ ही FCI के द्वारा किए जा रहे गेहूं समेत अन्य अनाज का अधिग्रहण भाजपा शासित राज्यों के समानान्तर बिहार में भी हो।
बिहार के सभी जिलों में औसतन कम से कम दो चीनी मीलों की स्थापना। बिहार के हर एक प्रखंड में औसतन कम से कम एक प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना।एम.एस. स्वामीनाथन कमिटी के अनुसंशा के तहत कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत खर्चे में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर तय हो। एम०एस० स्वामीनाथन कमिटी के सभी सुझावों को लागू किया जाए और कई फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत खर्च में 75 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर तय हो।
बिहार में कृषि मंडी कानून लागू हो और बिहार के हर एक प्रखंड में एक कृषि मंडी की स्थापना हो ताकि किसानों को मार्केट की सुविधा मिल सके। बिहार के किसानों के लिए कृषि उपकरण जैसे-ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, थ्रेशर, पम्पींग सेट और अन्य सिंचाई अपकरण को GST के दायरे से बाहर किया जाए और इन पर लगने वाले 12 प्रतिशत टैक्स को घटाकर शून्य प्रतिशत किया जाए। जुलाई 2017 के पहले यूपीए सरकार द्वारा निर्धारित कृषि उपकरणों पर टैक्स दर शून्य प्रतिशत था। डीजल को भी GST टैक्स से बाहर किया जाय।
बिहार राज्य में भी तमिलनाडु या अन्य राज्य की तरह कृषि पर अलग से बजट तय हो। अन्य देशों की तरह भारत में भी सब्सिडी कम से कम 12 लाख करोड में हो जबकि यहां हजार करोड़ में है, जो बहुत कम है। देश में किसानों के लिए पांच आयोग बनाये गये हैं, उनकी सभी सिफारिशें को लागू किया जाय। गन्ने पर्ची की सुस्त रफ्तार को गतिशील करने के साथ-साथ इसे MSP के दायरे में लाया जाय l केन्द्र सरकार द्वारा 18 जुलाई 2022 को MSP को कानूनी दर्जा के आलोक में बनाये गये कमिटी से अविलंब रिपोर्ट दाखिला करवाते हुए MSP को कानूनी दर्जा दिया जाय।