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1st Bihar Published by: Updated Sat, 25 Jan 2020 01:47:07 PM IST
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RANCHI : चारा घोटाले में सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इन दिनों अपनी फैमिली को खूब मिस कर रहे हैं। पिछली कई मुलाकातों के दौर में लालू से मिलने उनकी बेटी-दामाद और समधी-समधन पहुंच रहे हैं। जिनसे लालू ढ़ेर सारी परिवार की बातें कर रहे हैं। परिवार वालों से मुलाकात का सिलसिला ऐसा चल रहा है कि कुछ यूं लग रहा है कि लालू जी राजनीति से थोड़ी दूरी बना परिवार के बीच ही ज्यादा वक्त बिताना चाहते हैं।
आज शनिवार को मुलाकात के दिन लालू यादव की बेटी धन्नों अपनी बेटियों के साथ रांची के रिम्स पहुंची। नाना जी मिलने को लालू की नतिनी काफी उत्सुक नजर आ रही थी। वे मम्मी का हाथ पकड़े नाना जी से मिलने जा रही थी। जबकि छोटी बहन मम्मी की गोद में आराम फरमा रही थी। वहीं इस मौके पर लालू के समधी अजय यादव भी उनसे मिलने पहुंचे। इस मौके पर लालू यादव ने उन सभी से परिवार का हाल-चाल लिया। इन मुलाकातों में राजनीति की कोई जगह नहीं थी बस पारिवारिक मिलन का बोध छिपा था। लालू की बेटी पापा से मिलकर भावुक थीं।
इससे पहले इसी महीने की 11 जनवरी को भी लालू यादव ने अपने समधी-समधन से मुलाकात की थी। लालू से मिलने उनके समधी कैप्टन बीएन यादव और समधन गीता यादव पहुंचे। उसी दिन अन्य रिश्तेदार बीवी यादव भी लालू से मिले थे। लालू ने इस दौरान समधी-समधन से घर परिवार और खेत-खलिहान की ढ़ेर सारी बातें की थी। इस दिन भी राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।
हालांकि पॉलिटिक्स के मंजे खिलाड़ी लालू यादव राजनीति से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकते भले ही इन दिनों कुछ ज्यादा उन्हें परिवार की याद सता रही है और वो इन दिनों पारिवारिक इष्ट मित्रों से मुलाकात कर रहे हैं लेकिन अब वो घड़ी नजदीक आ रही है जब लालू यादव को बिहार की पॉलिटिक्स में बड़ी भूमिका अदा करनी है । लालू भले ही जेल के अंदर हो लेकिन बिहार के विपक्ष की राजनीति की कमान उन्हीं के हाथों में होगी। चाहें सीटों के बंटवारे का मामला हो या फिर प्रत्याशियों के चयन का सभी मामलों का फैसला लालू के बिना संभव ही नहीं होगा। झारखंड चुनाव के दौरान भी लालू का ये जलवा देखने को मिला था जब रिम्स में नेताओं के जमावड़ा लगा रहता था। सभी नेता टिकट की चाहत में उनकी गणेश परिक्रमा कर रहे थे। वहीं बड़े नेता भी लालू के आशीर्वाद के बिना आगे नहीं बढ़ते थे। लालू के हस्तक्षेप से ही झारखंड के बने महागबंधन ने बड़ी सफलता हासिल की और सत्ता पर हेमंत सोरेन काबिज हुए।