ब्रेकिंग न्यूज़

BIHAR NEWS : बांका में पति की हैवानियत: पत्नी की हत्या कर शव को बालू में गाड़ा, पहली पत्नी की भी ले चुका जान Bihar luxury car market: बिहार में लग्जरी कारों का क्रेज, हर साल बढ़ रही है महंगी गाड़ियों की बिक्री Test Cricket का क्रेज़ बढ़ाने के लिए इंग्लैंड के पूर्व कप्तानों ने दिया ऐसा सुझाव, अब फैंस भी कर रहे इन नियमों का समर्थन World Sexual Health Day 2025: यौन संक्रमण से बचाव के लिए जागरूकता है जरूरी, जानिए... जरूरी बातें BIHAR BAND : बिहार सहित पटना की सडकों पर भी दिख रहा बंद का असर, इनकम टैक्स और डाकबंगला इलाके में आवागमन ठप Bihar News: बिहार में लड़कियों से अधिक लड़के छोड़ रहे हैं स्कूल, जान लीजिए... कारण Bihar News: बिहार के इस जिले में नए रोड ओवर ब्रिज का निर्माण, खर्च होंगे ₹118 करोड़ Bihar News: नरेंद्र मोदी की मां पर की गई टिप्पणी के खिलाफ सड़क पर उतरीं महिलाएं, आज बिहार बंद Bihar Weather: आज बिहार के 18 जिलों में बारिश की चेतावनी, इन जिलों में उमस भरी गर्मी करेगी जीना मुश्किल Road Accident: पटना-गया फोरलेन पर भीषण सड़क हादसा, ट्रक से टकराई ग्रैंड विटारा; 5 व्यवसायियों की दर्दनाक मौत

मंगल बाबू आपको इस बोझ का अहसास नहीं हो सकता, नीतीश जी आप भी देख लीजिए अपने घर की तस्वीर

1st Bihar Published by: 9 Updated Tue, 25 Jun 2019 12:41:35 PM IST

मंगल बाबू आपको इस बोझ का अहसास नहीं हो सकता, नीतीश जी आप भी देख लीजिए अपने घर की तस्वीर

- फ़ोटो

NALANDA: सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था के सुधारने के तमाम दावे. अस्पतालों की बेहतरी के लिए अनेक घोषणाएं. लेकिन हकीकत देखिए. तस्वीर सदर अस्पताल नालंदा की है. जो मानवता को झकझोरती हैं और सरकार की तमाम व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाती हैं. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि नालंदा जिला सीएम नीतीश कुमार का गृह जिला है. हैरान करने वाली बात यह है कि यह जिला सीएम नीतीश कुमार का गृह जिला है. एक शख्स अपने बेटे की लाश को कंधे पर उठाकर इधर- उधर घूमता रहा. अस्पताल प्रबंधन से बेटे की लाश को घर जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराने की गुहार लगाता रहा. लेकिन तमाम सरकारी दावों के बीच अस्पताल का हाल बेहद चौंकानाेवाली हैं. अस्पताल प्रबंधन ने शख्स को एंबुलेंस की सुविधा मुहैया नहीं करायी. जबकि किसी भी लाश को ले जाने के लिए मुफ्त में एंबुलेंस दिए जाने का प्रावधान है. न तो उस शख्स को अस्पताल प्रबंधन ने कोई सुविधा मुहैया करायी, और न ही कोई व्यवस्था की. आखिरकार यह पिता अपने बेटे के शव को अपने कंधे पर उठाकर उसे अंतिम यात्रा पर ले गया.