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नए साल से जेब होगी ढीली : चप्पल-जूते और कपड़ा खरीदना होगा महंगा, खाने के बिल पर भी पड़ेगा असर

1st Bihar Published by: Updated Tue, 28 Dec 2021 03:21:04 PM IST

नए साल से जेब होगी ढीली : चप्पल-जूते और कपड़ा खरीदना होगा महंगा, खाने के बिल पर भी पड़ेगा असर

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DESK : 1 जनवरी, 2022 से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स में कई बड़े बदलाव होने वाले हैं.  जिसके बाद कपड़े और फुटवियर और चप्पल महंगा हो जाएगा. इन बदलावों में ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर पैसेंजर ट्रांसपोर्ट या रेस्टोरेंट सर्विसेज के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर टैक्स का भुगतान करने का दायित्व शामिल है. 


फुटवियर और टेक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में करेक्शन 1 जनवरी से लागू होगा. जिसमें सभी फुटवियर पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा. जबकि कॉटन को छोड़कर सभी टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा. ऑटो रिक्शा ड्राईवर द्वारा ऑफलाइन या मैनुअल मोड के जरिए से दी जाने वाली पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सर्विस पर छूट जारी रहेगी. जब किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदान की जाने वाली ऐसी सेवाओं पर 1 जनवरी, 2022 से 5 फीसदी टैक्स लगेगा.


वहीं खाने के बिल पर भी असर पड़ेगा, नए बदलाव के बाद स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को 1 जनवरी से उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली रेस्टुरेंट सेवाओं पर जीएसटी लगेगा. उन्हें ऐसी सेवाओं के संबंध में चालान जारी करने की भी आवश्यकता होगी. इससे अंतिम उपभोक्ता पर कोई अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि इस समय रेस्तरां जीएसटी जमा कर रहे हैं. केवल, जमा और चालान जुटाने के अनुपालन को अब फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों पर स्थानांतरित कर दिया गया है.


बता दें सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि बीते 2 सालों में खाने की डिलीवरी करने वाले ऐप्स 2000 करोड़ रुपये का खराब प्रदर्शन था. इन प्लेटफार्मों को जीएसटी जमा के लिए उत्तरदायी बनाने से कर चोरी पर रोक लगेगा. वहीं और टेक्स चोरी रोकने के लिए ये उपाय जो 1 जनवरी 2022 से लागू होगा.  अन्य टैक्स-चोरी रोकने के लिए उपाय जो नए साल से लागू होंगे. उनमें जीएसटी रिफंड का दावा करने के लिए अनिवार्य आधार ऑथेंटिकेशन, उन मामलों में जीएसटीआर -1 दाखिल करने की सुविधा को रोकना है जिसने टैक्स का भुगतान नहीं किया है और तुरंत पिछले महीने का जीएसटीआर-3बी दाखिल कर दिया है. यह नियम आउटवर्ड सप्लाई या जीएसटीआर-1 के लिए रिटर्न दाखिल करने को प्रतिबंधित करता है. अगर कोई बिजनेस पिछले दो महीनों के जीएसटीआई-3बी को दाखिल करने में विफल रहता है.