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1st Bihar Published by: Updated Wed, 17 Aug 2022 01:24:13 PM IST
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PATNA : नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से कार्तिक कुमार को लेकर राजनितिक गलियारों में बवाल मचा हुआ है। कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार अपहरण के एक मामले में फरार घोषित हैं। उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है। विधि मंत्री कार्तिकेय कुमार के वकील अब इस मामले को लेकर आज शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और पूरे मामले की जानकारी देंगे।
बता दें कि 16 अगस्त को कार्तिक कुमार को सरेंडर करना था लेकिन उस दिन सरेंडर करने के बजाय वे मंत्री पद की शपथ के लिए राजभवन चले गए और पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसे लेकर सियासत अब बिहार में राजनीति गर्म हो गयी है। बिहार में मचे घमासान के बाद कार्तिकेय कुमार का बयान भी सामने आ गया।
बिहार के नए विधि मंत्री पर कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद कार्तिकेय कुमार ने अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने कहा है कि हलफनामा में सभी मंत्री, विधायक अपना डिटेल देते हैं। इसमें इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है। बाकी जो लोग बोलते हैं, उन्हें बोलने दीजिये। अब कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार के वकील बुधवार की शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और इस मामले पर अपनी बातें रखेंगे।
आपको बता दें, कैबिनेट में जिसे कानून मंत्री बनाया गया, उनके खिलाफ कोर्ट से अपहरण के मामले में वारंट जारी किया जा चुका है। इससे भी ज्यादा हैरानी आपको ये जानकर होगी कि जिस दिन कार्तिकेय सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली उसी दिन उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था। हैरानी की बात है कि इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नहीं थी, इसके बावजूद उन्हें कानून मंत्री बना दिया गया।
आरजेडी विधायक और नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट में सरेंडर करने का वारंट जारी किया गया था। लेकिन, कोर्ट में सर्रेंडर करने की जगह उन्होंने कानून मंत्री के लिए शपथ ले ली। मामले से जुड़ी जो जानकारी फर्स्ट बिहार को मिली है, उसके मुताबिक़ 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया है। कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है।
बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री जब किसी को शपथ दिलवाता है तो उसका पहले पुलिस वेरिफिकेशन होता है. उसका आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला जाता है. क्या नीतीश जी को यह बात नहीं मालूम थी कि कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट है. सीएम नीतीश बाढ़-मोकामा इलाके से आते हैं और उन्हें कार्तिकेय सिंह के बारे में पहले से नहीं पता था. नीतीश कुमार को कार्तिकेय सिंह को बर्खास्त कर देना चाहिए. इससे पहले भी मंत्रियों को हटाया गया था.
सुशील मोदी ने कहा कि कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री इसलिए बनाया गया ताकि आरजेडी के वो मंत्री जिन पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, उसे समाप्त किया जा सकें. चाहें वह ललित यादव हों या सुरेंद्र यादव या रामानंद यादव, इन बाहुबलियों के मुकदमों को खत्म करने के लिए कार्तिकेय सिंह को मंत्री बनाया गया है. कार्तिकेय सिंह को मंत्री बनाए जाने से लगता है कि बिहार एक बार फिर लालू यादव के राज की ओर लौट रहा है. उनका जंगलराज फिर से वापस आ गया है।
गौरतलब है कि नीतीश कैबिनेट में आरजेडी के 16, जेडीयू के 11, कांग्रेस के 2 और हम के एक और एक निर्दलीय विधायक मंत्री बने हैं। इनमें आरजेडी से तेज प्रताप यादव,आलोक मेहता, सुरेंद्र प्रसाद यादव, रमानंद यादव, कुमार सर्वजीत, ललित यादव, समीर कुमार, चंद्रशेखर, जितेंद्र कुमार राय, अनीता देवी, सुधाकर सिंह, इसराइल मंसूरी, सुरेंद्र राम, कार्तिकेय सिंह, शहनवाज आलम, शमीम अहमद शामिल हैं। वहीं जेडीयू कोटे के मंत्रियों की बात की जाए तो इसमें विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, लेसी सिंह, संजय झा, मदन सहनी, शीला कुमारी, सुनील कुमार,मोहम्मद जमा खान, जयंत राज शामिल हैं। कांग्रेस से आफाक आलम, मुरारी गौतम, हम से संतोष कुमार और सुमित कुमार सिंह निर्दलीय कैबिनेट में शामिल हुए थे।