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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 17 Dec 2024 11:29:09 PM IST
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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है। जब सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे सूर्य गोचर या सूर्य संक्रांति कहा जाता है। खासतौर पर, धनु और मीन राशि में सूर्य के गोचर के दौरान खरमास लगता है। इस समय को मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, क्योंकि गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है और कार्यों में अड़चनें आ सकती हैं। लेकिन, इस दौरान कुछ विशेष उपायों को अपनाकर जीवन में सुख-समृद्धि लायी जा सकती है और संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है।
खरमास के दौरान करने वाले उपाय
1. सूर्य देव को जल अर्पित करें:
खरमास के दौरान प्रतिदिन स्नान और ध्यान के बाद जल में कुमकुम मिलाकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य देव को जल अर्पित करें। इससे सूर्य आपकी कुंडली में मजबूत होगा और जीवन में शुभ फल प्राप्त होंगे।
2. दान का महत्व:
सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार गेहूं, मूंगफली, गुड़, शकरकंद, गर्म कपड़े आदि का दान करें। यह दान सूर्य देव को प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका है।
3. करियर संबंधी उपाय:
यदि आप नौकरी की तलाश में हैं, तो खरमास के दौरान रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद सूर्य देव के नामों का मंत्र जप करें। इससे करियर में सफलता और नौकरी के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
4. संध्याकाल में तुलसी मां की आरती करें:
रोजाना संध्याकाल में तुलसी मां की आरती करें और एक दीपक घर की दहलीज पर रखें। इस उपाय से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी।
5. सूर्य स्तोत्र का पाठ करें:
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य स्तोत्र का पाठ करें। यह स्तोत्र सूर्य देव की महिमा और शक्तियों को प्रकट करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
सूर्य स्तोत्र
सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि:।
गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर:।।
पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च।।
इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर:।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम:।।
वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति:।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन:।।
कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय:।
कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण:।।
संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु:।
पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन:।।
कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद:।
वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोrरिहा।।
भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत:।
स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत:।।
अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख:।
जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता।।
मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक:।
धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत:।।
द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह:।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम।।
देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख:।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित:।।
एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस:।
नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा।।
खरमास का समय किसी भी मांगलिक कार्य के लिए उपयुक्त नहीं होता, लेकिन इसके दौरान ऊपर बताए गए उपायों को अपनाकर सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इससे जीवन में आने वाली मुश्किलों का समाधान होगा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।