आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Bihar News: गयाजी के सूर्यकुंड तालाब में सैकड़ों मछलियों की मौत, भीषण गर्मी या है कोई और वजह? Bihar News: गयाजी के सूर्यकुंड तालाब में सैकड़ों मछलियों की मौत, भीषण गर्मी या है कोई और वजह? बिहार के इस रूट पर पहली बार चली ट्रेन, आज़ादी के बाद रचा गया इतिहास
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 26 Dec 2024 09:49:33 PM IST
- फ़ोटो
Mahabharata Story: महाभारत में अर्जुन का नाम अद्वितीय धनुर्धर और अजेय योद्धा के रूप में लिया जाता है। किंतु, एक ऐसा पल भी आया जब अर्जुन अपने ही पुत्र बभ्रुवाहन के हाथों युद्ध में परास्त होकर मृत्युवश गए। यह कथा अर्जुन के जीवन के उस पहलू को उजागर करती है, जो प्रेम, धर्म, और पुनरुत्थान का अद्भुत मिश्रण है।
अर्जुन और चित्रांगदा का मिलन
मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा, मणिपुर नरेश चित्रवाहन की एकमात्र संतान थीं। वनवास के दौरान अर्जुन मणिपुर पहुंचे, जहां उन्होंने चित्रांगदा के साहस और रूप पर मोहित होकर उनसे विवाह करने की इच्छा जताई।
चित्रवाहन की शर्त: राजा चित्रवाहन ने यह शर्त रखी कि अर्जुन और चित्रांगदा से जन्मा पुत्र मणिपुर का उत्तराधिकारी बनेगा और वहीं रहेगा। अर्जुन ने इस शर्त को स्वीकार करते हुए चित्रांगदा से विवाह किया।
पुत्र का जन्म: विवाह के पश्चात उनका पुत्र बभ्रुवाहन का जन्म हुआ। अर्जुन ने बभ्रुवाहन और चित्रांगदा को मणिपुर में छोड़कर अपनी यात्रा जारी रखी।
अश्वमेध यज्ञ और पिता-पुत्र का युद्ध
महाभारत के बाद, युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के तहत अर्जुन अश्व का पीछा करते हुए मणिपुर पहुंचे।
पुत्र का स्वागत: बभ्रुवाहन ने अर्जुन का स्वागत पूरे सम्मान के साथ किया।
अर्जुन का क्रोध: अर्जुन ने इसे क्षत्रिय धर्म के खिलाफ माना कि उनका पुत्र अश्व को न रोके। उन्होंने बभ्रुवाहन को युद्ध के लिए ललकारा।
उलूपी की भूमिका: अर्जुन की दूसरी पत्नी उलूपी ने बभ्रुवाहन को अपने पिता से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया।
युद्ध के दौरान, बभ्रुवाहन ने अर्जुन को पराजित किया और उन्हें मृत्युलोक पहुंचा दिया।
अर्जुन का पुनर्जीवन
अर्जुन की मृत्यु से मणिपुर में शोक फैल गया। चित्रांगदा ने विलाप करते हुए उलूपी पर आरोप लगाए।
संजीवनी मणि: उलूपी ने संजीवनी मणि की मदद से अर्जुन को पुनर्जीवित किया।
शाप से मुक्ति: उलूपी ने बताया कि अर्जुन को गंगापुत्र भीष्म को शिखंडी की आड़ में मारने के पाप से मुक्ति पाने के लिए अपने पुत्र के हाथों मृत्यु को प्राप्त होना आवश्यक था। यह घटना देवताओं के शाप और धर्म का एक अंश थी।
कथा का संदेश
यह प्रसंग धर्म, कर्तव्य और पाप-मुक्ति का गहरा संदेश देता है। अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच का युद्ध यह दिखाता है कि धर्म का पालन व्यक्तिगत संबंधों से ऊपर है। साथ ही, उलूपी की भूमिका और अर्जुन का पुनर्जीवन इस कथा को एक सकारात्मक अंत प्रदान करते हैं। महाभारत की यह घटना न केवल अर्जुन के जीवन की एक अनोखी कड़ी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सनातन धर्म में हर घटना का एक उद्देश्य और आध्यात्मिक महत्व होता है।