PATNA: एनडीए में टूट के बाद फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की नई सरकार बनी। जब से नीतीश-तेजस्वी की नई सरकार बनी है तब से विपक्ष लगातार हमलावर नजर आ रहा है। महागठबंधन की सरकार बने अभी हफ्ते भी नहीं हुए थे कि अब बर्खास्त करने की मांग उठने लगी है। इसे लेकर पटना हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता धर्मशीला देवी और अधिवक्ता वरुण सिन्हा की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें नीतीश कुमार की सरकार को असंवैधानिक बताते हुए इसे बर्खास्त करने की अपील की गई है।
धर्मशीला देवी और वरुण सिन्हा की ओर से दायर जनहित याचिका में यह कहा गया है कि 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू एनडीए में शामिल थे। उस वक्त एनडीए के नाम पर ही उन्हें जनता से बहुमत मिला था।
एनडीए के नाम पर ही नीतीश कुमार सत्ता में आए थे। लेकिन अब अचानक एनडीए से रिश्ता तोड़ उन्होंने पाला बदलते हुए महागठबंधन में शामिल हो गये हैं। महागठबंधन की नई सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री हैं। यह संसदीय लोकतंत्र और संविधान के आधारभूत संरचना के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि नीतीश कुमार ने 2017 में राजद को छोड़ दिया था और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनायी थी। तब राजद और तेजस्वी यादव इसे जनादेश की चोरी बता रहे थे। इस आधार पर भी महागठबंधन की नई सरकार असंवैधानिक है।
वही अनुच्छेद 163 और 164 के तहत राज्यपाल को नीतीश कुमार को फिर से नियुक्त नहीं करना चाहिए था। क्योंकि अधिक सीटों वाले दल से गठबंधन तोड़कर कम सीटों वाले दल के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने सरकार बनायी और खुद मुख्यमंत्री बन गए।