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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 31 Jan 2024 11:23:06 AM IST
                    
                    
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DESK : देश के एक कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि मंदिर कोई पिकनिक या पर्यटन स्थल नहीं है। इसलिए गैर-हिंदुओं के प्रवेश की अनुमति नहीं है। हालांकि, कुछ निर्धारित दूरी तय के लिए ही यह आदेश सुनाया गया है। वहीं, कोर्ट के इस निर्णय को लेकर राजनीतिक दलों के तरफ से अलग -अलग तरह के विचार रखे जा रहे हैं।
दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक स्थानों और विभागों को सभी मंदिरों में बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है। इसमें कहा गया कि गैर-हिंदुओं को ‘कोडिमारम’ (ध्वज स्तंभ) क्षेत्र से आगे जाने की अनुमति नहीं है। इसके साथ ही हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के न्यायाधीश एस. श्रीमथी ने कहा कि मंदिर कोई पिकनिक या पर्यटन स्थल नहीं है। इसलिए गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर ध्वज स्तंभ के आगे जाने की अनुमति नहीं है।
कोर्ट ने अपने फैसले में बिना किसी हस्तक्षेप के अपने धर्म का पालन करने के हिंदुओं के मौलिक अधिकार पर जोर दिया है। मंदिरों गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक का का यह फैसला डी. सेंथिलकुमार द्वारा दायर एक याचिका पर आया है। सेंथिलकुमार ने डिंडीगुल जिले के पलानी में अरुलमिगु पलानी धनदायुथापानी स्वामी मंदिर और उसके उप-मंदिरों में केवल हिंदुओं को प्रवेश करने की अनुमति मांगी थी।
जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मंदिर के प्रवेश द्वारों, ध्वज स्तंभ के पास और अन्य प्रमुख स्थानों पर ऐसे बोर्ड लगाने का निर्देश दिए हैं। ये बोर्ड ‘कोडिमारम’ से आगे गैर हिंदुओं के प्रवेश पर मनाही रहेगी। कोर्ट के आदेश में कहा गया कि यदि कोई गैर-हिंदू किसी विशिष्ट देवता के दर्शन करना चाहता है। तो उन्हें हिंदू धर्म में अपनी आस्था और मंदिर के रीति-रिवाजों का पालन करने की इच्छा की पुष्टि करने वाला एक वचन पत्र देना होगा।
उधर, कोर्ट ने आगे कहा कि मंदिर परिसर में गैर-हिंदुओं को अनुमति न दी जाए,जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में किसी विशेष देवता के दर्शन करने का दावा करता है, तो उस गैर-हिंदू से एक वचन लेना होगा कि हिंदू धर्म के भगवान में आस्था है। वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा। मंदिर के रीति-रिवाजों का भी पालन करेगा। इस तरह के दावे के बाद ही गैर-हिंदू को मंदिर में जाने की अनुमति दी जा सकती है।