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MLC चुनाव को लेकर JDU के अंदर खेल, कुशवाहा को झटका तो अफाक का दावा है मजबूत

1st Bihar Published by: Updated Mon, 06 Jun 2022 09:57:03 AM IST

MLC चुनाव को लेकर JDU के अंदर खेल, कुशवाहा को झटका तो अफाक का दावा है मजबूत

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PATNA : बिहार विधान परिषद की 7 सीटों के लिए हो रहे चुनाव को लेकर एनडीए के अंदर अभी सियासी गणित उलझा हुआ है। एनडीए में सीट बंटवारे पर अब तक आधिकारिक तौर पर मुहर नहीं लग पाई है। हालांकि जेडीयू 50-50 के फार्मूले पर 2 सीटें चाहता है। जबकि बीजेपी के नेता तीन और एक का फार्मूला बता रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू के बीच चल रही रस्साकशी के बावजूद जनता दल यूनाइटेड में 2 सीटों पर उम्मीदवारों की तलाश जारी है। इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लगातार चर्चा की जा रही है। एमएलसी चुनाव को लेकर जेडीयू के अंदर भी एक दिलचस्प खेल खेला जा रहा है। 


जनता दल यूनाइटेड अगर 2 सीटों पर अपने उम्मीदवार देता है तो इसमें एक सीट पर किसी अल्पसंख्यक और दूसरे पर किसी अति पिछड़ा तबके का चेहरे भेजने की प्रबल संभावना है। अअल्पसंख्यक समाज से आने वाले. पार्टी के पुराने नेता युवा संगठन से भी जुड़े रहे हैं इस बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ भी उनका संबंध अच्छा रहा है और यही वजह है कि अफाक आलम सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि अब तक अफाक आलम को पार्टी के नेतृत्व के तरफ से किसी भी तरह की कोई सूचना नहीं मिली है, लेकिन इसके बावजूद जेडीयू के अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि एक सीट पर अफाक आलम का जाना लगभग तय है। अफाक आलम की वजह से पार्टी ने नार्थ ईस्ट में बेहतर प्रदर्शन किया था, उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी गई थी। अफाक आलम के नाम की चर्चा राज्यसभा चुनाव के दौरान भी रही लेकिन पुराने कार्यकर्ता अनिल हेगड़े को नीतीश कुमार ने राज्यसभा भेजने का फैसला किया। जबकि खीरू महतो को भी राज्यसभा भेजा जा चुका है। ऐसे में अफाक आलम को अगर एमएलसी बनाया जाता है तो इसमें कोई बहुत अचरज नहीं होना चाहिए। 


पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो दूसरे सीट पर मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा की दावेदारी थी। उमेश सिंह कुशवाहा भी विधान परिषद भेजे जाने की रेस में थे, लेकिन फिलहाल उनके नाम को झटका लगा है। दरअसल विधानसभा का पिछला चुनाव हारने के बाद उमेश सिंह कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। उमेश सिंह कुशवाहा महनार से आते हैं, और इसी इलाके से पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी ताल्लुक रखते हैं। उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी पिछले साल ही विधान परिषद भेज चुकी है। एक ही तबके और एक ही इलाके से आने के कारण उमेश सिंह कुशवाहा का पत्ता लगभग कटा हुआ माना जा रहा है, हालांकि सियासी गलियारे में इस बात की भी चर्चा है कि उमेश सिंह कुशवाहा के नाम पर खुद उपेंद्र कुशवाहा ने भी सहमति नहीं जताई थी। पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात की थी। वशिष्ठ नारायण सिंह से उपेंद्र कुशवाहा की भी मुलाकात हुई थी और सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान उमेश सिंह कुशवाहा के नाम पर विराम लग गया था। जेडीयू सूत्रों के मुताबिक पार्टी आज शाम या फिर कल 7 जून तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर सकती है। अल्पसंख्यक तबके के अलावा दूसरा चेहरा किस समाज से होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यह बात सभी को मालूम है कि अंतिम फैसला नीतीश कुमार को लेना है और अपने फैसले से वह एक बार फिर लोगों को चौंका सकते हैं।


बीजेपी और जेडीयू के बीच चल रही रस्साकशी के बावजूद जनता दल यूनाइटेड में 2 सीटों पर उम्मीदवारों की तलाश जारी है। इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लगातार चर्चा की जा रही है। एमएलसी चुनाव को लेकर जेडीयू के अंदर भी एक दिलचस्प खेल खेला जा रहा है। 


जनता दल यूनाइटेड अगर 2 सीटों पर अपने उम्मीदवार देता है तो इसमें एक सीट पर किसी अल्पसंख्यक और दूसरे पर किसी अति पिछड़ा तबके के चेहरे को भेजने की प्रबल संभावना है। अल्पसंख्यक समाज से आने वाले पार्टी के पुराने नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष के ललन सिंह के साथ युवा संगठन से जुड़े रहे अफाक आलम को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। हालांकि अफाक आलम ने अब तक पार्टी नेतृत्व की तरफ से किसी भी तरह की कोई सूचना मिलने से इनकार किया है लेकिन इसके बावजूद जेडीयू के अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि एक सीट पर अफाक आलम का जाना लगभग तय है। अफाक आलम की वजह से पार्टी ने नार्थ ईस्ट में बेहतर प्रदर्शन किया था, उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी गई थी। अफाक आलम के नाम की चर्चा राज्यसभा चुनाव के दौरान भी रही लेकिन पुराने कार्यकर्ता अनिल हेगड़े को नीतीश कुमार ने राज्यसभा भेजने का फैसला किया जबकि खीरू महतो को भी राज्यसभा भेजा जा चुका है। ऐसे में अफाक आलम को अगर ऐसी बनाया जाता है तो इसमें कोई बहुत अचरज नहीं होना चाहिए। 


पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो दूसरे सीट पर मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा की दावेदारी थी। उमेश सिंह कुशवाहा भी विधान परिषद भेजे जाने की रेस में थे लेकिन फिलहाल उनके नाम को झटका लगा है। दरअसल विधानसभा का पिछला चुनाव हारने के बाद उमेश सिंह कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। उमेश सिंह कुशवाहा महनार से आते हैं और इसी इलाके से पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी ताल्लुक रखते हैं। उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी पिछले साल ही विधान परिषद भेज चुकी है। एक ही तबके और एक ही इलाके से आने के कारण उमेश सिंह कुशवाहा का पत्ता लगभग कटा हुआ माना जा रहा है, हालांकि सियासी गलियारे में इस बात की भी चर्चा है कि उमेश सिंह कुशवाहा के नाम पर खुद उपेंद्र कुशवाहा ने भी सहमति नहीं जताई थी। पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात की थी। वशिष्ठ नारायण सिंह से उपेंद्र कुशवाहा की भी मुलाकात हुई थी और सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान उमेश सिंह कुशवाहा के नाम पर विराम लग गया था। जेडीयू सूत्रों के मुताबिक पार्टी आज शाम या फिर कल 7 जून तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर सकती है। अल्पसंख्यक तबके के अलावा दूसरा चेहरा किस समाज से होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यह बात सभी को मालूम है कि अंतिम फैसला नीतीश कुमार को लेना है और अपने फैसले से वह एक बार फिर लोगों को चौंका सकते हैं।