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1st Bihar Published by: Updated Wed, 21 Oct 2020 07:19:05 AM IST
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DESK : नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप को समर्पित होता है. 21 अक्तूबर को शारदीय नवरात्रि का 5वां दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता की पूजा-आराधना की जा रही है.
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का एक अन्य नाम स्कन्द है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी हो जाती है. स्कंदमाता संतान प्राप्ति का भी वरदान भक्तों को देती हैं और संतान के कष्ट को भी दूर करती हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर का नामक राक्षस था. जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी. तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया और उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था. स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के पश्चात् भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया.भगवान स्कन्द बाल रूप में माता स्कन्द की गोद में विराजित हैं.देवी की चार भुजाएं हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पुष्प पकड़ा हुआ है. मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं. इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है.