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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Fri, 21 Jul 2023 04:19:04 PM IST
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PATNA: 7 साल पहले बिहार के गया में हुई सरेआम हत्या की जिस घटना ने पूरे देश को सकते में डाल दिया था, उसके सारे अभियुक्त कोर्ट से रिहा हो गये हैं. लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि बिहार सरकार ने इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साध ली है. 20 साल के छात्र आदित्य सचदेवा के मर्डर के तीनों अभियुक्त हाईकोर्ट से रिहा हो गये हैं. छोटे-छोटे मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली बिहार सराकर इस मामले में खामोश है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या इस मामले के आरोपी रॉकी यादव के रसूख के सामने नीतीश कुमार की सुशासन वाली सरकार ने घुटने टेक दिये हैं.
बता दें कि बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने गया के बहुचर्चित आदित्य सचदेवा हत्याकांड में रॉकी यादव समेत तीनों अभियुक्तों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यानि राज्य सरकार और पुलिस ठोस सबूत पेश नहीं कर पायी. लिहाजा संदेह का लाभ देते हुए रॉकी यादव, टेनी यादव और सरकारी बॉडीगार्ड राजेश कुमार को रिहा कर दिया गया. बता दें कि रॉकी यादव बिंदी यादव औऱ मनोरमा देवी का बेटा है. बिंदी यादव की मौत कोरोना काल में हो गयी थी लेकिन उससे पहले वह गया में राजद का सबसे कद्दावर नेता था. वहीं मनोरमा देवी जेडीयू की कद्दावर नेत्री और एमएलसी रही है.
ये घटना 7 मई 2016 को हुई थी, जिसने पूरे देश में तूफान खड़ा कर दिया था. 20 साल का छात्र आदित्य सचदेव अपने दोस्तों के साथ बोधगया से अपनी कार से लौट रहा था. रास्ते में उसके पीछे से रॉकी यादव की गाड़ी आ रही थी. बिंदी यादव और मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव ने करीब डेढ करोड़ रूपये की रेंजरोवर गाड़ी खरीदी थी और उस सवार होकर सैर करने निकला था. रॉकी यादव अपनी एमएलसी मां के सरकारी बॉडीगार्ड को भी साथ लेकर निकला था. इसी दौरान बीच सड़क पर आदित्य सचदेवा की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.
आदित्य सचदेवा की हत्या के बाद गया पुलिस ने कहा था कि रॉकी यादव की गाड़ी को साइड नहीं देने के गुनाह में उसे गोली मार दी गयी थी. आदित्य को अस्पताल ले जाते जाते ही उसकी रास्ते में ही मौत हो गई थी. पुलिस ने इस मामले में रॉकी यादव के साथ उसकी गाड़ी में सवार टेनी यादव और रॉकी की मां जेडीयू एमएलसी मनोरमा देवी के बॉडीगार्ड अंगरक्षक राजेश कुमार को अभियुक्त बनाया था. उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. इस मामले में 9 मई 2016 को रामपुर थाना में कांड संख्या 130/16 दर्ज करायी गयी थी.
हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद रॉकी यादव फरार हो गया था. पुलिस ने जब उसके पिता बिंदी यादव और मां मनोरमा देवी के घर पर छापेमारी की थी तो वहां से अवैध कारबाइन समेत कई आधुनिक हथियार औऱ शराब की बोतलें बरामद हुई थी. पुलिस ने राजद नेता बिंदी यादव पर अपने बेटे को छिपाने और सबूत मिटाने का भी आरोप लगाया था. बिंदी यादव के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था.
आदित्य सचदेवा हत्याकांड में 6 सितंबर 2017 को गया के एडीजे वन सच्चिदानंद सिंह ने रॉकी यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने हत्या के आरोपी टेनी यादव और एमएलसी मनोरमा देवी के बॉडीगार्ड राजेश को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वहीं रॉकी के पिता बिंदी यादव को सबूत मिटाने और आरोपी को मदद पहुंचाने के आरोप में 5 साल की सजा दी गयी थी. कोरोना के दौरान बिंदी यादव की मौत हो गयी थी.
लेकिन बुधवार को पटना उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने रॉकी समेत तीनों अभियुक्तों को बरी करने का आदेश दिया है. पटना हाईकोर्ट में जस्टिस ए.एम. बदर और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने ये फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और पुलिस ये साबित करने में विफल रही है कि इन तीनों ने हत्या की उस घटना को अंजाम दिया था. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष स्पष्ट, ठोस, भरोसेमंद और पुख्ता सबूत पेश करके उनका अपराध स्थापित करने में विफल रहा. लिहाजा संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी कर दिया गया.
सरकार ने चुप्पी साधी
बहुचर्चित आदित्य यादव हत्याकांड में सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि बिहार सरकार ने चुप्पी साध ली है. नीतीश कुमार की सरकार छोटे-छोटे मामले में भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाती है. लेकिन इस बड़े और बहुचर्चित मामले में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है. सरकार ये नहीं कह रही है कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जायेगी. वहीं, पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि सरकार औऱ पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पेश किये. जाहिर है कई सवाल उठ रहे हैं. क्या सरकार वाकई रॉकी यादव को आराम से रिहा हो जाने देना चाहती है.
सवाल इसलिए भी ज्यादा उठ रहे हैं क्योंकि रॉकी यादव का परिवार राजद औऱ जेडीयू से शुरू से जुड़ा रहा है. उसका पिता बिंदी यादव कई गंभीर मामलों का आरोपी होने के बावजूद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का गया में सबसे विश्वस्त सहयोगी माना जाता था. वहीं, रॉकी यादव की मां नीतीश कुमार की पार्टी की एमएलसी रह चुकी है. क्या इसी रसूख के कारण सरकार ये मान बैठी है कि नो वन किल्ड आदित्य सचदेवा. यानि आदित्य सचदेवा को किसी ने नहीं मारा.