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1st Bihar Published by: Updated Fri, 26 Jun 2020 12:56:36 PM IST
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DESK : कोरोना संकट के बीच आम आदमी की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है. बढ़ते पेट्रोल और डीजल के कारण एक ओर महंगाई की मार पड़ी है, वहीं दूसरी तरफ सेविंग पर मिलने वाली ब्याज दरों में बैंकों ने भरी कटौती करनी शुरू कर दी है. महंगाई के चौतरफे दबाव से आम जनता की परेशानी लगातार बढ़ने वाली है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जल्द ही ईपीएफओ (EPFO-Employees Provident Fund Organisation) की तरफ से भी ब्याज दरों में एक बार फिर से कटौती की जा सकती है. इस कटौती की मुख्य वजह निवेश पर लगातार घटते ब्याज दर को माना जा रहा है. इस घटते दर के कारण प्रॉविडेंट फंड पर दिए जाने वाले ब्याज को घटाने पर विचार हो रहा है.
श्रम मंत्रालय इसके बारे में तभी नोटिफाई करेगा, जब वित्त मंत्रालय इसे अपनी मंजूरी दे देता है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए ईपीएफओ का फाइनेंस विभाग, इन्वेस्टमेंट विभाग और ऑडिट कमेटी जल्द बैठक करने वाली हैं. इसमें ईपीएफओ कितना ब्याज दर देने की हालत में है इस बात पर चर्चा होनी है.
EPFO अपने कुल फंड का 85 फीसदी हिस्सा डेट मार्केट (बॉन्ड्स) में और 15 फीसदी हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) के जरिए शेयर बाजार में लगाता है. पिछले साल मार्च के अंत में इक्विटीज में EPFO का कुल निवेश 74,324 करोड़ रुपये का था और उसे 14.74% का रिटर्न मिला था.
आपको बता दें कि EPFO ने अब तक 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. इसमें से करीब 4500 करोड़ रुपये एनबीएफसी कंपनी दीवान हाउसिंग और आईएलएंडएफएस में लगाए गए हैं. डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है, वहीं IL & FS को बचाने के लिए सरकारी निगरानी में काम चल रहा है. ऐसे में EPFO की बड़ी रकम फंस गई है.