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1st Bihar Published by: Updated Sat, 18 Apr 2020 02:01:31 PM IST
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DESK : लॉकडाउन की वजह से दूरदर्शन पर शुरू हुई रामानंद सागर की रामायण के दोबारा प्रसारण ने टीवी पर शुरू होती ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। टीआरपी में इस सीरियल ने सभी को पीछे छोड़ते हुए नंबर एक की गद्दी पा ली है। सीरियल अब अपने अंतिम पड़ाव में है लेकिन दर्शकों का उत्साह कम नहीं हो रहा। ऐसे में एक शख्स की चर्चा करना जरूरी है जिसने परदे पर जन-जन की भावनाओं के प्रतीक भगवान राम को टीवी स्क्रीन पर जीवंत बना दिया।
हम बात कर रहे हैं टीवी सीरियल रामायण के निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर की। रामानंद सागर ने पूरी मेहनत के साथ रामायण के कई भाषाओं के अध्ययन के बाद उसमें से रोचक प्रसंगों को निकाला और दर्शकों के सामने बिल्कुल ही रोचक अंदाज में पेश किया। रामानंद सागर पढ़ने-लिखने के शौकीन थे। किसी भी विषय की विशेष जानकारी के लिए वे दिन रात पढ़ते थे। रामानंद सागर ने एक डायरी लिखी है जिसका जिक्र हम करने वाले हैं।
रामानंद सागर अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन वे लोगों के दिल में बसे हैं।राम के दर्शन करा कर वे भी जनप्रिय हो गये। लेकिन उनके बारे में एक तथ्य जो शायद ही ज्यादा लोग जानते होंगे। रामानंद सागर को टीबी की बीमारी थी। बीमारी का खुलासा होने के बाद उन्हें टीबी सेनिटोरियम में भर्ती किया गया। क्योंकि उस वक्त टीबी की बीमारी का कोई इलाज नहीं था। टीबी सेनिटोरियम के बारे में कहा जाता था कि टीबी पेशेंटंस यहां आते हैं और उनकी लाश यहां से बाहर जाती है।
रामानंद सागर उस टीबी सेनिटोरियम में ए़डमिट हुए तो उन्होनें वहां इलाज के दौरान डायरी लिखनी शुरू कर दी। डायरी का शीर्षक जो उन्होनें दिया वो भी चौंकाने वाला था।'मौत के बिस्तर से डायरी टीबी पेशेंट की' नाम से कॉलम लिखना शुरू किया तो उसके एक-एक कॉलम ने लोगों को हैरान कर दिया।
दरअसल उसके पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है जिसका जिक्र रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर एक इंटरव्यू में कर चुके हैं उन्होनें बताया कि सेनिटोरियम में एक कपल भी था। वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। एक दिन दोनों स्वस्थ होकर वहां से निकले। उन्हें देखकर पिताजी चकित रह गए। उस दिन उन्हें एहसास हुआ कि प्यार किसी भी बीमारी को मात दे सकता है। उस दिन से उन्होंने रोज डायरी लिखना शुरू कर दिया।
रामानंद सागर के लिखे कॉलम ने संपादकों का दिल जीत लिया था । उनके कॉलम ने संपादकों का दिल जीत लिया। एक संपादक ने तो अखबार में 'मौत के बिस्तर से रामानंद सागर' नाम से कॉलन निकलाना शुरू कर दिया। बड़े -बड़े राईटर भी रामानंद सागर के फैन हो गये। रामानंद सागर आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन 'रामायण' के रुप में उनकी कीर्ति पताका आने वाले कई दशकों तक लहराती रहेगी।