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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Thu, 24 Oct 2024 11:38:46 AM IST
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PATNA: बिहार में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौत के बीच आरजेडी ने सत्तारूढ़ जेडीयू का नया नामाकरण कर दिया है. आरजेडी ने कहा है जेडीयू का असली नाम जनता दल यूनाइटेड नहीं है. नीतीश कुमार की पार्टी की जे का मतलब है जहां, डी का मतलब है दारू और यू का मतलब है अनलिमिटेड. यानि जेडीयू का असली नाम है जहां दारू अनलिमिटेड. जहरीली शराब से लगातार मौत को लेकर तीखा हमला बोलते हुए तेजस्वी यादव ने कहा है कि शराबबंदी नीतीश कुमार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है. हर गली में शराब की दुकान खुलवाने वाले नीतीश अब महात्मा बनने का ढ़ोंग रच रहे हैं.
मौत के जिम्मेदार नीतीश
आरजेडी ने कहा है कि बिहार में जहरीली शराब से लगातार मौत हो रही है. पहले सिवान और छपरा में जहरीली शराब पीने से मौत हुई. अब मुजफ्फरपुर में भी जहारीली शराब से मौत हुई है. आरजेडी ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद हर घर उपलब्ध शराब तथा जहरीली शराब से हो रही मौतों का ज़िम्मेवार कौन? इसका सीधा जवाब है- नीतीश कुमार और JDU.
नीतीश ने हर गली में खुलवाया था दारू की दुकान
उधर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शराब को लेकर नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा है कि बिहार के हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकाने खुलवाने वाले तथा शराबबंदी के नाम पर जहरीली शराब से हजारों जाने लेने वाले मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे है. मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने अपने शुरू के 10 वर्षों में बिहार में शराब की खपत बढ़ाने के हर उपाय किए और अब अवैध शराब बिकवाने के हर उपाय कर रहे है.
तेजस्वी ने पूछा है कि क्या नीतीश कुमार मेरे इन तथ्यों को झुठला सकते है कि 2004-05 में बिहार के ग्रामीण इलाकों में 500 से भी कम शराब की दुकानें थीं, लेकिन 2014-15 में उनके शासन में यह बढ़कर 2,360हो गई. 2004-05 में पूरे बिहार में लगभग 3000 शराब की दुकानें थीं जो 2014-15 में बढ़कर 6000 से अधिक हो गई.
तेजस्वी यादव ने कहा है कि 1947 से 2005 यानि 58 साल में बिहार में सिर्फ 3000 दुकानें ही खुलीं लेकिन 2005 से लेकर 2015 तक नीतीश जी ने 10 साल में इसे दोगुना कर 6000 कर दिया. 58 साल में बिहार में हर साल औसतन 51 दुकानें खोली गई, लेकिन 2005-15 के 10 साल नीतीश राज में हर साल औसतन 300 दुकानें खुलीं.
तेजस्वी यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री के ध्यानार्थ शराबबंदी के बाद के भी कुछ तथ्य सांझा कर रहे हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS) की रिपोर्ट के अनुसार शराबबंदी होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. अभी बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं. वहीं, इसकी तुलना में महाराष्ट्र, जहां शराबबंदी नहीं है, वहां शराब पीने वाले पुरुषों का प्रतिशत महज 13.9 है. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं, फिर भी नीतीश जी अनुसार बिहार में शराबबंदी लागू है. ये क्या मजाक है?
तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार की तथाकथित शराबबंदी के बाद भी स्थिति इतनी बदतर है कि एक आंकड़े के अनुसार बिहार में हर दिन औसत 400 से ज्यादा लोगों की शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी होती है तथा बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग की ओर से प्रदेश में हर दिन करीब 6600 छापेमारी होती है यानि औसत हर घंटे 275 छापेमारी होती है. इसका अर्थ है बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग हर महीने लगभग 2 लाख तथा प्रतिवर्ष 24 लाख जगह छापेमारी करता है. लेकिन इसके बाद भी अवैध शराब का काला काराबोर बदस्तूर जारी है.
तेजस्वी यादव ने कहा है कि इसका एक मतलब यह भी है कि ज़ब्त शराब को बाद में जेडीयू नेताओं, शराब माफिया और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से बाजारों में बेच दिया जाता है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि शराबबंदी के बाद भी एक आंकड़े के अनुसार राज्य में लगभग 3 करोड़ 46 लाख लीटर से अधिक अवैध देशी और विदेशी शराब पकड़ी जा चुकी है. ये कौन लोग है और किसके अनुमति से शराबबंदी के बाबजूद भी अपना कारोबार चला रहे है?
तेजस्वी यादव ने कहा है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार शराबबंदी के उल्लंघन के 8.43 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कुल 12.7 लाख लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इन 12.7 लाख लोगों में 95% दलित और दूसरे वंचित जातियों के लोग थे, शराबबंदी के नाम पर सबसे ज्यादा शोषण इन्ही वंचित जातियों के साथ क्यों किया जा रहा है?
तेजस्वी यादव ने कहा है कि शराबबंदी नीतीश कुमार के शासन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है। बिहार में शराब के नाम पर अवैध कारोबार के रूप में लगभग 30 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था चलाया जा रहा है, जिसका सीधा फायदा जेडीयू पार्टी और उसके नेताओं को मिल रहा है.