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1st Bihar Published by: Updated Sun, 19 Apr 2020 08:03:16 PM IST
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PATNA : राजस्थान के कोटा में पढ़ाई करने वाले छात्रों को योगी सरकार द्वारा वापस बुलाए जाने पर नीतीश सरकार में हाय तौबा मच आया था, लेकिन अब बिहार के ही बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने राजस्थान के कोटा में पढ़ाई कर रहे अपनी बेटी और उसके दोस्तों को वहां से वापस बुला लिया है. इस मामले को लेकर बिहार में राजनीति गरमा गई है. रालोसपा ने सरकार के दोहरे चरित्र पर सवाल खड़ा किया है.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता अभिषेक झा ने नीतीश सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है. झा ने सीएम नीतीश के ऊपर हमला बोलते हुए कहा कि सोशल जस्टिस की बात कहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के छात्रों के साथ दोहरा चरित्र क्यों अपना रहे हैं. उन्होंने ट्वीट कर पूछा है कि सरकार का यह कौन सा जस्टिस है ? एक विधायक की बेटी और आम जनता के बच्चों में इतना फर्क क्यों है ?
आरएलएसपी प्रवक्ता अभिषेक झा ने एक बार फिर से राज्य सरकार से कोटा में फंसे छात्रों की मदद की मांग की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छात्रों के हित के बारे में सोचते हुए राजस्थान से बिहार लाना चाहिए. संकट की इस घड़ी में बिहार सरकार को छात्रों की मदद करनी चाहिए. दरअसल बीजेपी के विधायक ने सारे नियमों को ताक पर रखकर अपने पिता धर्म का पालन करते हुए अपनी बेटी को वापस लेकर आ गए. जिसके बाद विपक्षी नेता तमाम सवाल खड़ा कर रहे हैं.
#सोशल_जस्टिस की बात करने वाले @NitishKumar जी से बिहार के छात्रों का सवाल है कि आपकी #सरकार का यह कौन सा जस्टिस है?#विधायक पुत्री और #आम जनता के बाल बच्चों में इतना फर्क क्यों?#कोटा में फसे हर बिहारी #छात्र की मदद करिए नीतीश जी।। pic.twitter.com/EaOqa1zAc8
— Er. Abhishek Jha (@AbhishekJhaNITP) April 19, 2020
बता दें कि शनिवार को ही कोरोना संकट की महामारी में सीएम नीतीश ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आज अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन को सख्ती से लागू करे के लिए विशेष तौर पर चर्चा हुई. इस अहम बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि कोटा से छात्रों को वापस लाने की मांग पर कहा कि ऐसे तो लॉक डाउन का मजाक उड़ जायेगा.
सीएम नीतीश ने साफ़ तौर पर इस बैठक में कहा कि कोटा मामले में कुछ लोग नहीं माने और अपने कोटा से आ गए. उन्हें बॉर्डर पर रखा गया. वहां उनका टेस्ट करा कर उनको घर भेजने की व्यवस्था की गई. अब कोई कहे कि कोटा में जो लोग फंसे हैं. उनको फिर से बुलवा लिया जाये. इसके साथ ही देश के कोने-कोने में भी जो फंसे हुए हैं, उनकी मांग अगर सभी राज्य मानने लगे तो लॉक डाउन का मजाक उड़ जायेगा. हमलोगों का कमिटमेंट तो पूरे तौर पर है.