ब्रेकिंग न्यूज़

S-400 Missile defence system: पाकिस्तान के मिसाइल हमलों को भारत ने S-400 डिफेंस सिस्टम से किया नाकाम, जानिए इस घातक हथियार की खासियत Bihar News: दोस्तों के संग नहाने गया नाबालिग... लौटा ही नहीं, गाँव में छाया मातम Indian Army response: पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमले नाकाम, भारतीय सेना ने L-70 और शिल्का सिस्टम से दिया करारा जवाब Bihar News: शनिवार को इस रेलखंड पर 7 घंटे का मेगा ब्लॉक, 10 ट्रेनें रद्द, कई रिशेड्यूल Social media rumor: भारत के हवाई अड्डों पर एंट्री बैन की खबर फर्जी, सरकार ने कहा- अफवाहों से बचें Bihar News: सरकारी कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग अब कार्य के अनुसार, लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त, नए नियम जारी Bihar border alert: भारत-पाक तनाव के बीच बिहार में हाई अलर्ट, सीमांचल में कल सीएम नीतीश की अहम बैठक S-400: भारत के कई शहरों को बर्बादी से बचाने वाला 'सुदर्शन', कभी USA को ठेंगा दिखाते हुए भारत ने 'सच्चे मित्र' से था खरीदा भारतीय नौ सेना का कराची पर जोरदार हमला...पाकिस्तान के 16 शहरों पर भारी बमबारी भारत का पाकिस्तान के लाहौर पर बड़ा हमला...पाकिस्तानी एयर डिफेंस हुआ तबाह

स्वास्थ्य विभाग में अवैध तरीके से काम कर रहे लोगों को झटका, सुप्रीम कोर्ट वेतन और पेंशन देने से रोका

1st Bihar Published by: Updated Tue, 22 Oct 2019 07:51:12 AM IST

स्वास्थ्य विभाग में अवैध तरीके से काम कर रहे लोगों को झटका, सुप्रीम कोर्ट वेतन और पेंशन देने से रोका

- फ़ोटो

DELHI : स्वास्थ विभाग में अवैध तरीके से नियुक्त तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों के वेतन और पेंशन भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध तरीके से विभाग में काम कर रहे हजारों कर्मियों को झटका दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सार्वजनिक पदों पर अवैध तरीके से नियुक्त लोगों को वेतन पेंशन और अन्य भत्ते नहीं दिए जा सकते। जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने स्वास्थ्य विभाग के उन कर्मियों की याचिका खारिज कर दी जो अपनी नियुक्ति की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। 

आपको बता दें कि साल 1980 से 1990 के बीच स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर ऐसी नियुक्तियां हुई थी।  जिनके लिए ना तो पद को स्वीकृत किया गया और ना ही विज्ञापन सहित अन्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया।  बाद के दिनों में जब अवैध तरीके से नियुक्त कर्मियों के बारे में विभाग को जानकारी मिलेगी तो उन्हें सेवा से हटा दिया गया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ यह कर्मी सुप्रीम कोर्ट गए थे जहां से उन्हें निराशा हाथ लगी।