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1st Bihar Published by: Updated Wed, 03 Aug 2022 06:44:04 PM IST
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PATNA : एक दौर था जब पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी बिहार बीजेपी मैं एकक्षत्र राज किया करते थे लेकिन आज बदलते वक्त की सियासत ने सुशील कुमार मोदी को अपनी ही पार्टी में हाशिए पर ला खड़ा किया है। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद सुशील मोदी को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने किनारा लगा दिया। बाद में उन्हें राज्यसभा भेजा तो गया लेकिन केंद्र सरकार में उनकी एंट्री नहीं हो पाई। पिछले दिनों जब पार्टी की तरफ से संयुक्त मोर्चों की बैठक पटना में आयोजित की गई तो इस दौरान यह साफ हो गया कि सुशील कुमार मोदी का कद अब पहले जैसा नहीं रहा। पोस्टर बैनर तक से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सुशील मोदी को गायब कर दिया लेकिन सुशील मोदी आंकड़ों की बाजीगरी के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं, लिहाजा अपने सवालों से वो नीतीश सरकार या यूं कहें कि बिहार में डबल इंजन की सरकार की विफलता उजागर कर रहे हैं। सुशील कुमार मोदी ने संसद के मौजूदा सत्र में कई ऐसे सवाल पूछे हैं, जिनका जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने बताया है कि दरअसल बिहार की डबल इंजन वाली सरकार कैसे अलग–अलग मोर्चों पर असफल साबित हो रही है।
ताजा मामला बिहार में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़ा हुआ है। गया और मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जो योजना बनाई गई, उस योजना की क्या स्थिति है? इसे लेकर सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार से सवाल किया था। राज्यसभा सांसद ने यह जानना चाहा था की शिक्षा मंत्रालय की तरफ से महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी और गया स्थित केंद्रीय विद्यालय की कार्य योजना की स्थिति क्या है? सुशील कुमार मोदी के सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ सुभाष सरकार ने बताया कि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी वर्तमान में अस्थाई कैंपस में चल रहा है। चूँकि कोई भूमि पूर्णतया प्राप्त नहीं हो सकी है, इस कारण भवन निर्माण हेतु केंद्र सरकार ने कोई राशि नहीं दी है। मोतिहारी हेतु कुल 301.97 एकड़ भूमि बिहार सरकार को उपलब्ध करानी है जिसमें पहले चरण में 102.39 एकड़ और दूसरे चरण में 28.45 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय को ट्रांसफर की जा चुकी है। लेकिन हालात ये हैं की केवल 28.45 एकड़ जमीन का ही म्यूटेशन हो पाया है। अभी भी बिहार सरकार को 134.57 एकड़ भूमि उपलब्ध कराना बाकी है।
मोतिहारी में 140 स्वीकृत शैक्षणिक पदों के मुकाबले 113 कार्यरत है और स्वीकृत गैर शैक्षणिक पदों में मात्र 26 कार्यरत है और 36 पद खाली हैं। मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय के 20 कार्यरत विभागों में 12 किराए के भवन में और 8 वर्तमान भवन में चल रहे हैं। गया केंद्रीय विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने 228.35 करोड़ की राशि निर्गत की थी, जो शत-प्रतिशत खर्च हो गई है। गया में शैक्षणिक स्वीकृत 214 पदों के विरुद्ध 154 कार्यरत हैं और 60 पद रिक्त है। गैर शैक्षणिक 1545 स्वीकृत है जिसके विरुद्ध 120 कार्यरत हैं और 30 पद खाली है। रक्षा मंत्रालय की 300 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय को स्थानांतरित की जा चुकी है।