स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर बिहटा एयरपोर्ट रखने की मांग, युवा चेतना के संयोजक ने नागरिक उड्डयन मंत्री से की मुलाकात TCH एदुसर्व ने किया ऐलान: BPSC TRE-4.0, CTET और STET के लिए नए बैच की शुरुआत, सीमित सीटें, जल्द कराए नामांकन गोपालगंज से बड़ी खबर: नहाने के दौरान गंडक नदी में डूबे 3 बच्चे, तलाश जारी Bihar Co Suspend: 'मंत्री' को गलत जानकारी देना CO को पड़ा महंगा, दो अधिकारी सस्पेंड CHAPRA: शहीद इम्तियाज को श्रद्धांजलि देने घर पहुंचे VIP के प्रतिनिधिमंडल, परिजनों से मिलकर हरसंभव मदद का दिया भरोसा BIHAR: जहानाबाद जेल में तैनात महिला सिपाही ने की आत्महत्या, कटिहार की रहने वाली थी शिवानी, एक महीने में यह तीसरी घटना Bihar News: 30 मई को बिहार दौरे पर नरेंद्र मोदी, इस एयरपोर्ट का करेंगे उद्घाटन; सासाराम में बड़ी जनसभा में होंगे शामिल Bihar News: अब गांव-गांव पहुंचेगी बैंकिंग सेवा, बिहार सरकार खोलेगी 144 नई शाखाएं; होगा रोजगार का श्रृजन BIHAR: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शहीद इम्तियाज को दी श्रद्धांजलि, राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान को किया नमन Life Style: गर्मी में सेहत का असली साथी है बेल का शरबत, ये 5 फायदे जानकर रह जाएंगे हैरान
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Mar 2025 06:07:35 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
CAG Report Bihar: बिहार में नीतीश सरकार की वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा खुलासा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है, जिसे राज्य विधानसभा में पेश किया गया। रिपोर्ट में सरकारी योजनाओं के धीमे क्रियान्वयन, फंड की बर्बादी और गैर-जरूरी परियोजनाओं पर धन खर्च करने का खुलासा हुआ है।
नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट नीर निर्मल परियोजना (NNP) के तहत बिहार को 476.90 करोड़ रुपये की वर्ल्ड बैंक सहायता से वंचित रहना पड़ा। यह नुकसान परियोजना में देरी और निर्धारित समय तक कम खर्च किए जाने के कारण हुआ। योजना को मार्च 2020 तक पूरा होना था, लेकिन दिसंबर 2022 तक भी इसे पूरा नहीं किया जा सका। वर्ल्ड बैंक से 803 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन धीमी प्रगति के चलते बिहार को सिर्फ 326.10 करोड़ रुपये ही मिले और शेष राशि हाथ से निकल गई।
आपको बता दे कि रिपोर्ट में 64.21 करोड़ रुपये गैर-योग्य योजनाओं और ऑपरेशन्स एवं मेंटेनेंस (O&M) पर खर्च होने का खुलासा हुआ। पश्चिम चंपारण और नालंदा में 19.44 करोड़ रुपये जल आपूर्ति पाइपलाइन पर लगाए गए, जबकि जल आपूर्ति सतह जल की बजाय भूजल से कर दी गई, जिससे यह खर्च पूरी तरह व्यर्थ साबित हुआ।
इसके अलावा, 24,123 मल्टी-जेट जल मीटर, जिनकी लागत 4.11 करोड़ रुपये थी, अनुपयोगी हो गए, क्योंकि सरकार ने जल शुल्क को फ्लैट दर 30 रुपये प्रति माह तय कर दिया, जिससे इनका उपयोग नहीं हो सका। वहीं, जरूरत से अधिक क्षमता वाले ऊंचे जलाशय (ESR) बनाने में 3.57 करोड़ रुपये का अनावश्यक खर्च किया गया। कृषि क्षेत्र में भी वित्तीय गड़बड़ी उजागर हुई। कुल 50.91 लाख आवेदन में से 26.30 लाख को विभिन्न कारणों से खारिज कर दिया गया।
वहीँ ,1,424.59 करोड़ रुपये की सहायता में से 867.36 करोड़ रुपये की राशि देरी से वितरित हुई, जिसमें कुछ मामलों में 21 महीने तक की देरी दर्ज की गई। आधार से बैंक खाते न जुड़ने और खातों के बंद होने के कारण 51.11 करोड़ रुपये की ट्रांजेक्शन फेल हो गई।रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य और जिला स्तर पर समन्वय समितियों (SLCC और DLCC) की बैठकें समय पर नहीं हुईं और न ही योजनाओं के प्रभाव का उचित मूल्यांकन किया गया।