मुजफ्फरपुर में बेपटरी हुई मालगाड़ी, बाल-बाल बचा रेल कर्मी, ट्रेनों का परिचालन बाधित Bihar News: नहाने के दौरान डूबने से दो लड़कियों की मौत, दादा को खाना पहुंचाने गई थीं दोनों बच्चियां आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Bihar News: गयाजी के सूर्यकुंड तालाब में सैकड़ों मछलियों की मौत, भीषण गर्मी या है कोई और वजह?
1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 05 Apr 2025 06:47:50 PM IST
बिहार BJP की अजब कहानी - फ़ोटो GOOGLE
PATNA: लालू परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही बिहार बीजेपी की कहानी अजब है. पार्टी के आला नेता कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपी को गले लगा रहे हैं. आलाधिकारियों ने कमीशनखोरी की शिकायत सरकार से की थी, लेकिन बीजेपी कोटे के मंत्री वाले विभाग ने फाइल को दबा दिया है.
नगर विकास विभाग का हाल
मामला नगर विकास विभाग और पटना नगर निगम का है. पटना नगर निगम के आयुक्त ने सरकार को पत्र लिख कर साफ साफ बताया है कि पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू के बेटे शिशिर कुमार खुल कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं. वे ही नगर निगम के सारे फैसले ले रहे हैं और उसमें जमकर कमीशन ले रहे हैं. करीब डेढ़ महीने नगर आयुक्त ने विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजकर कार्रवाई की गुहार लगाई थी. लेकिन नगर विकास विभाग में ये फाइल दब गयी है.
मंत्री से लेकर डिप्टी सीएम लगा रहे गले
पटना नगर निगम में भ्रष्टाचार के खुले खेल की सरकारी रिपोर्ट के बावजूद बीजेपी के आला नेता आरोपी मेयरपुत्र को गले लगा रहे हैं. 3 अप्रैल को पटना नगर निगम ने बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया. दरअसल पटना नगर निगम अपना विशाल और आधुनिक कार्यालय बनाने जा रहा है. इसके शिलान्यास के लिए 3 अप्रैल को बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था.
नगर निगम के हर कार्यक्रम की तरह इस कार्यक्रम में भी मेयर के आरोपी पुत्र शिशिर कुमार भी मौजूद थे. कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों के आऱोपी शिशिर कुमार इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के साथ साये की तरह नजर आ रहे थे. शिशिर कुमार नगर निगम से किसी भी तरह जुड़े नहीं है. लेकिन वे कार्यक्रम में पहुंचे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गुलदस्ता देकर स्वागत कर रहे थे.
नगर विकास मंत्री को खिलाई थी मिठाई
इससे पहले शिशिर कुमार की और तस्वीर चर्चा में रही थी. पिछले महीने नगर विकास मंत्री बने जीवेश मिश्रा को जैसे ही नगर विकास विभाग मिला, वैसे ही शिशिर कुमार उनके आवास पर नजर आये. विभाग के आलाधिकारी जिस पर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर सरकार को रिपोर्ट भेज चुके हैं, वह नगर विकास मंत्री को मिठाई खिलाऩे से लेकर फूल-माला से स्वागत करते नजर आ रहा था.
सत्ता के संरक्षण में लूट
बता दें कि ये सरकारी रिपोर्ट है कि पटना नगर निगम में लूट का खुला खेल चल रहा है. नगर निगम प्रशासन ने साफ साफ कह रखा है कि मेयर सीता साहू के बेटे और बीजेपी नेता शिशिर कुमार ने लूट की सारी हदें पार कर दी हैं. त्रस्त नगर आयुक्त ने नगर विकास विभाग से गुहार लगाई है कि पटना नगर निगम में टेंडर से लेकर एजेंसी चुनने का काम सरकार खुद करे. अगर पटना नगर के जिम्मे ये काम सौंपा गया तो मेयर के बेटे को पैसा वसूलने का मौका मिलेगा.
लेकिन शिशिर कुमार BJP की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं. गंभीर आरोपों के बावजूद वे नगर निगम के हर कार्यक्रम में नजर आ रहे हैं. बीजेपी के आला नेता उन्हें गले लगा रहे हैं. उनके खिलाफ भेजी गयी रिपोर्ट का क्या हुआ, ये सरकार बताने को तैयार नहीं है. सरकार ये भी नहीं बता रही है नगर विकास विभाग और पटना नगर निगम के कार्यक्रमों में शिशिर कुमार किस हैसियत से शामिल हो रहे हैं.
27 फरवरी को नगर आय़ुक्त ने भेजी थी रिपोर्ट
पटना नगर आयुक्त ने पिछले 27 फरवरी को ही पटना नगर निगम में हो रहे खेल की जानकारी राज्य सरकार को दी थी. आय़ुक्त ने कहा था कि उन्हें ये सूचना मिली है कि महापौर पुत्र शिशिर कुमार द्वारा पटना नगर निगम के विभिन्न वेंडर के अवधि का एक्सटेंशन के नाम पर बलपूर्वक राशि की वसूली की जाती है. मेयर के बेटे की डिमांड पूरी होने के बाद ही एक्सटेंशन दिया जाता है. नगर निगम में काम करने वाले कुछ चुने हुए वेंडरों को ही कार्य-विस्तार (एक्सटेंशन) दिया जाता है.
नगर आयुक्त की रिपोर्ट में कहा गया था कि नगर निगम में काम कर रहे वेंडरों को एक्सटेंशन के संबंध में पटना नगर निगम कार्यालय द्वारा सशक्त स्थायी समिति के समक्ष अगस्त माह में ही प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक मेयर के बेटे ने वेंडरों से अवैध राशि की माँग की थी. लेकिन एजेंसी ने पैसा नहीं दिया तो एक्सटेंशन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया.
नगर निगम में लूट की हदें पार
नगर आय़ुक्त ने सरकार को बताया था कि पटना नगर निगम का हाल ये है कि पिछले कई महीने से सशक्त स्थायी समिति की बैठक भी नहीं की गई है. निगम के सारे बड़े फैसले यही समिति करती है लेकिन बैठक ही नहीं की जाती. नगर निगम के लिए काम कर रही एजेंसी की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी सशक्त स्थाई समिति द्वारा बैठक नहीं किए जाने से सारा काम बाधित होता रहा है.
कई अहम काम रुका
नगर निगम का हाल ये है कि अहम काम करने के लिए नई एजेंसी का चयन भी नहीं हो पा रहा है. मैनपॉवर और ड्राइविंग एजेंसी का कार्यकाल समाप्त हो गया है. नगर आयुक्त द्वारा सशक्त स्थाई समिति को इस संबंध में फाइल भेजी गई लेकिन इसके बाद भी इसे कार्य सूची में भी शामिल नहीं किया गया.
राज्य सरकार खुद कराए काम
नगर आयुक्त ने सरकार को साफ साफ रिपोर्ट भेजी थी कि पटना नगर निगम अब से किसी एजेंसी को टेंडर में ही कार्य-अवधि निर्धारित कर दी जाए और एक्सटेंशन की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाय. पटना नगर निगम में अवैध वसूली रोकने के लिए एजेंसी के एक्सटेंशन का अधिकार नगर विकास विभाग अपने हाथों में ले ले.
नगर आय़ुक्त की रिपोर्ट में कहा गया था कि नगर निगम में काम कर रही एजेंसी के कर्मियों द्वारा लगातार यह आरोप लगाया गया है कि महापौर पुत्र शिशिर कुमार द्वारा पैसे की मांग की जा रही है. लगातार ये शिकायत मिली है कि शिशिर कुमार अवैध रूप से नगर निगम की गतिविधियों में शामिल रहते है और कार्यालय में निजी स्वार्थ के लिये दवाब बनाते है.
BJP का खेल!
बता दें कि पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू और उनके बेटे शिशिर कुमार BJP के नेता हैं. शिशिर कुमार बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं. वे बिहार बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. सीता साहू और शिशिर कुमार को लेकर पहले भी गंभीर सवाल उठे हैं लेकिन सत्ता से करीबी होने का लाभ उन्हें मिलता रहा है.