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पिता आयोग के अध्यक्ष, बेटी को बनाया सिंडिकेट का मेंबर: बिहार BJP को खून-पसीने से सींचने वाले सड़क पर, प्रवासी नेताओं पर इनाम की बौछार

बिहार बीजेपी में प्रवासी नेताओं को इनाम, परिवारवाद और गुटबाजी को लेकर अंदरखाने में भारी उबाल है. एक प्रवासी नेता आयोग अध्यक्ष बने, तो उनकी बेटी को मिला यूनिवर्सिटी में पद. जमीनी कार्यकर्ता नाराज़ हैं. क्या बर्बादी की ओर बढ़ रही है बिहार बीजेपी?

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 13 Jun 2025 08:36:12 PM IST

Bihar Politics

- फ़ोटो google

PATNA: बिहार बीजेपी में विस्फोट के आसार नजर आने लगे हैं. जो खबर आ रही है उसके मुताबिक पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस बात पर है कि जिन लोगों ने 30-40 साल से पार्टी को खून-पसीने से सींचा, वे सड़क पर धक्के खा रहे हैं. लेकिन, प्रवासी नेताओं पर इनाम की बौछार की जा रही है. प्रवासी नेताओं को पुरस्कृत करने के लगातार मामले सामने आ रहे हैं.


पिता आयोग के अध्यक्ष, बेटी को भी इनाम

पूरी जिंदगी कांग्रेस की राजनीति करने वाले पूर्व विधान पार्षद डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह कुछ साल पहले बीजेपी में शामिल हुए हैं. विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद महाचंद्र प्रसाद सिंह को बीजेपी ने बड़ा इनाम दिया. कुछ दिनों पहले गठित हुए सवर्ण आयोग में महाचंद्र प्रसाद सिंह को अध्यक्ष बना दिया गया है. लेकिन बीजेपी ने सिर्फ महाचंद्र प्रसाद सिंह को ही पुरस्कृत नहीं किया है, उनकी पुत्री को भी बीजेपी की ओर से तोहफा मिला है. महाचंद्र प्रसाद सिंह की बेटी सीमा शर्मा को बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी में सिंडिकेट का सदस्य बना दिया गया है. सीमा शर्मा को 22 अप्रैल को ही राज्यपाल के प्रतिनिधि के तौर पर बिहार यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट का सदस्य बनाया गया था.


महाचंद्र प्रसाद सिंह की बेटी को सिंडिकेट का मेंबर बनाने वाला आदेश को गोपनीय रखा गया था. लेकिन जब बिहार में आयोग, बोर्ड-निगम का गठन हुआ और उनमें बीजेपी के प्रवासी नेताओं को मलाईदार जगह मिली तो ये मामला सामने आया है. बीजेपी नेताओं ने ही फर्स्ट बिहार को ये जानकारी दी है कि सीमा शर्मा दिल्ली के किसी कॉलेज में पढ़ाती हैं. उन्हें पटना के महाचंद्र प्रसाद सिंह के घर का निवासी बता कर बिहार यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट का मेंबर बनाया गया है. बता दें कि किसी विश्वविद्यालय में सिंडिकेट का मेंबर बेहद अहम पद होता है औऱ सिंडिकेट ही यूनिवर्सिटी से संबंधित सारे अहम फैसले लेती है.


प्रवासी नेताओं को इनाम से खलबली 

बीजेपी में प्रवासी नेताओं को इनाम की बौछार से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं में भारी खलबली मची है. कुछ दिनों पहले बोर्ड, निगम का गठन हुआ है. उसमें बीजेपी कोटे से मलाईदार पद पाने वाले ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो कुछ दिनों पहले पार्टी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें पुरस्कृत कर दिया. सवर्ण आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी महाचंद्र प्रसाद सिंह को मिली जिन्होंने पूरी जिंदगी कांग्रेस की राजनीति की. इसी आयोग में राज कुमार सिंह को जगह दे दी गयी. कुछ ही साल पहले बीजेपी में शामिल होने वाले राज कुमार सिंह को पार्टी के ज्यादातर नेता पहचानते तक नहीं. इसी तरह से खाद्य आयोग में ऐसे नेता को मलाईदार पद मिला जो भाजपा में कब शामिल हुए, ये भी पार्टी के अधिकतर नेताओं-कार्यकर्ताओं को पता नहीं. कई और ऐसे नेताओं को आयोग और बोर्ड-निगम में जगह मिली है.


प्रदेश कमेटी के गठन पर भी सवाल

एक पखवाड़े पहले बीजेपी की प्रदेश कमेटी का भी गठन किया गया था. उस पर गंभीर सवाल उठे. दिलचस्प बात तो ये रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशों को भी हवा में उड़ा दिया गया. बता दें कि 29 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पटना दौरे के दरम्यान बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे थे. पार्टी ऑफिस में उन्होंने बिहार बीजेपी के सीनियर नेताओं के साथ बैठक की थी. बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कई अहम बातें कहीं थी. पीएम नरेंद्र मोदी की बैठक के दो दिन बाद बीजेपी ने नई प्रदेश कमेटी का ऐलान किया.  पार्टी की नई कमेटी में प्रधानमंत्री के संदेश को ही धत्ता बता दिया गया.


प्रधानमंत्री के निर्देश भी हवा में 

प्रदेश अध्यक्ष बनने के 10 महीने बाद दिलीप जायसवाल ने अपनी नई कमेटी बनायी है. खास बात ये भी है इसमें नये नेताओं-कार्यकर्ताओं को जगह देने के बजाय बीजेपी के दो-तीन बड़े नेताओं के खास लोगों को सेट करने की रस्म अदायगी कर दी गयी.


क्या था प्रधानमंत्री का मैसेज

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक 29 मई को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठक करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अहम बातें कहीं थी. उन्होंने कहा था कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन और चुनाव में पर्याप्त महत्व दिया जाये. प्रधानमंत्री ने चुनाव के समय पार्टी छोड़ कर जाने वालों पर नाराजगी जतायी थी. उन्होंने कहा था कि जो लोग चुनाव के समय पार्टी छोड़ कर जाते हैं और फिर वापस आते हैं, उन्हें उचित सम्मान नहीं मिलता है.


बिहार बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक में नरेंद्र मोदी ने ये भी कहा था कि पार्टी किसी नेता की जमींदारी नहीं है. अगर कोई नेता ये चाहता है कि उनकी जगह बेटा या परिवार का कोई दूसरा व्यक्ति सेट हो जाये तो ये गलत है. फिर कार्यकर्ता कहां जायेंगे. पीएम ने परिवारवाद के खिलाफ सख्त मैसेज दिया था.


एक दिन में ही हवा में उड़ गयीं पीएम की बातें

30 मई को प्रधानमंत्री बिहार से वापस लौटे. 31 मई को बीजेपी की नई प्रदेश कमेटी का ऐलान हुआ. इसमें 13 उपाध्यक्ष बनाये गये हैं. पीएम ने पार्टी की बैठक में चुनाव के समय दल छोड़ कर जाने वालों पर सख्त टिप्पणी की थी. लेकिन बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्षों की सूची में राजेंद्र सिंह का नाम शामिल है. राजेंद्र सिंह 2020 के चुनाव के समय बीजेपी छोड़ कर चले गये थे और लोजपा से चुनाव लड़ा था. बाद में वे पार्टी में वापस लौटे. अब उन्हें प्रदेश का उपाध्यक्ष बना दिया गया है.


परिवारवाद भी चला

प्रधानमंत्री ने पार्टी के नेताओं को कहा था कि वे दल को जमींदारी नहीं समझे. यानि पार्टी में नेताओं के परिजनों को तवज्जों नहीं मिलेगा. लेकिन उनके भाषण के दो दिन  बाद जब नई कमेटी बनी तो त्रिविक्रम सिंह जैसे नेताओं को जगह दी गयी. त्रिविक्रम सिंह बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के बेटे हैं.


नई बोतल में पुराना माल

प्रधानमंत्री ने अपनी बैठक में नये नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगह देने की बात कही थी. लेकिन नई प्रदेश कमेटी में ज्यादातर चेहरे वही हैं, जो पहले से ही पदाधिकारियों की सूची में शामिल रहे हैं. खास बात ये है कि प्रदेश कमेटी में जनाधार वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की जगह गणेश परिक्रमा करने वालों को खूब जगह मिली है. ज्यादातर चेहरे वही हैं जो सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल, भीखू भाई दलसानिया या नागेंद्र जी जैसे नेताओं के घर से लेकर दफ्तर तक गणेश परिक्रमा करते देखे जाते रहे हैं.


सम्राट चौधरी की खूब चली

कहने को तो बीजेपी की प्रदेश कमेटी दिलीप जायसवाल की कमेटी है. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा वैसे लोग शामिल हैं जो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के खास माने जाते रहे हैं. सम्राट चौधरी के सबसे करीबी माने जाने वाले संजय खंडेलिया को प्रदेश उपाध्यक्ष के पद से नवाजा गया. कोषाध्यक्ष राकेश तिवारी के साथ साथ सह कोषाध्यक्ष आशुतोष शंकर सिंह और नितिन अभिषेक भी सम्राट चौधरी की टीम के ही लोग माने जाते रहे हैं. 35 सदस्यीय प्रदेश कमेटी में शामिल कम से कम 10 नेता सम्राट चौधरी के करीबी बताये जा रहे हैं.


दिलीप जायसवाल ने भी अपने लोगों को सेट किया

बीजेपी के संगठन में अध्यक्ष के बाद महामंत्री का पद सबसे अहम होता है. दिलीप जायसवाल की नयी कमेटी में पांच महामंत्री बनाये गये हैं. इनमें एक नाम राकेश कुमार का है. इस नाम को देख कर पहले तो बीजेपी के ही ज्यादातार नेता हैरान रह गये कि ये राकेश कुमार कौन हैं? बाद में पता चला कि राकेश कुमार कभी पूर्णिया के जिलाध्यक्ष हुआ करते थे. विधान परिषद की जिस सीट से दिलीप जायसवाल चुनाव लड़ते हैं, वहां का मैनेजमेंट राकेश कुमार के जिम्मे ही हुआ करता था. लिहाजा अध्यक्ष जी ने अपने आदमी को डायरेक्ट प्रदेश महामंत्री के पद पर सेट कर दिया.  


भीखू भाई की परिक्रमा भी काम आयी

बीजेपी की प्रदेश कमेटी में प्रदेश संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसानिया की परिक्रमा करने वालों को भी मलाई मिली . भाजपा की पुरानी प्रदेश कमेटी में शामिल महामंत्रियों में से सिर्फ एक को फिर महामंत्री बनाया गया. वे राजेश वर्मा हैं. 


बीजेपी के एक नेता ने बताया कि राजेश वर्मा की खासियत सिर्फ औऱ सिर्फ यही रही है कि वे पार्टी के कुछ नेताओं की परिक्रमा करने में माहिर हैं. पिछले कई सालों से वे प्रदेश संगठन महामंत्री भीखू भाई के यस मैन के तौर पर जाने जाते रहे हैं. लिहाजा उन्हें दूसरी दफे महामंत्री पद का पुरस्कार मिल गया है. बीजेपी के एक नेता ने बताया कि राजेश वर्मा ने आज तक वार्ड पार्षद तक का चुनाव नहीं लड़ा है. ना ही कहीं भी उनका कोई जनाधार रहा है. लेकिन गणेश परिक्रमा के बल पर वे लगातार प्रदेश कमेटी में अहम पद पर बने रहते हैं. 


बीजेपी नेता ही ऑफ द रिकार्ड बता रहे हैं. भीखू भाई दलसानिया की परिक्रमा करने वाले कई और नेताओं को प्रदेश कमेटी में जगह मिली है. वहीं, बीजेपी की प्रदेश कमेटी में क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र जी के लोगों को भी पुरस्कार से नवाजा गया है. पार्टी के एक और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा भी अपने एक-दो लोगों को प्रदेश कमेटी में सेट कराने में सफल रहे हैं. पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष बने धीरेंद्र कुमार सिंह को विजय सिन्हा का ही करीबी माना जाता है. वहीं, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के सबसे करीबी माने जाने वाले सिद्धार्थ शंभू को प्रदेश उपाध्यक्षों की सूची में पहले नंबर पर रखा गया है.