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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Thu, 27 Feb 2025 02:08:14 PM IST
कैबिनेट विस्तार में मांझी के साथ खेल - फ़ोटो google
Bihar Cabinet Expansion: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में कैबिनेट का विस्तार हो गया है। नए मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है वहीं पुराने मंत्रियों के विभाग भी बदले गए हैं हालांकि विभागों के बंटवारे में जीतन राम मांझी के साथ बड़ा खेला हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने मांझी के पर को कतरने की कोशिश की है। जीतन राम मांझी ने विधानसभा चुनाव में अपनी औकात दिखाने की बात कही थी।
दरअसल, जिस तरह से बिहार में सरकार किसी भी गठबंधन की हो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होते हैं, ठीक वही हाल जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा की भी है। सरकार किसी भी गठबंधन का हो जीतन राम मांझी की पार्टी उसमें जरूर शामिल होती है। महज चार विधायकों के दम पर जीतनराम मांझी सत्ता की मलाई खाते रहे हैं। चाहे वह किसी भी गठबंधन में रहे अपने सहयोगियों पर जवाब बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जीतन राम मांझी घूम घूम कर हर मंच से अधिक से अधिक सीटों की मांग कर रहे थे और अपने सहयोगी दल बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। पिछले दिनों जीतन राम मांझी ने कहा था कि दिल्ली और झारखंड विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी की अनदेखी की गई लेकिन बिहार चुनाव में वह किसी भी हाल में कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं होंगे।
केंद्र की सरकार में मंत्री जीतन राम मांझी ने पिछले दिनों कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव में वह एनडीए गठबंधन को अपनी औकात बताएंगे। हालांकि बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन अपने पिता के बयानों को काटते रहे और कहते रहे कि बीजेपी जो तय करेगी उसपर वह उन्हें और उनकी पार्टी को मंजूर होगा। इसी बीच विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कैबिनेट का विस्तार हो गया लेकिन बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार के बहाने जीतन राम मांझी के पर कतर दिए हैं।
जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं। उनके पास पहले तीन विभागों का जिम्मा था लेकिन कैबिनेट विस्तार के बाद उनके दो विभाग छीन लिए गए हैं। अब संतोष सुमन के पास सिर्फ एक विभाग रह गया है। दो विभाग छीने जाने के बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार के बहाने जीतन राम मांझी को उनकी औकात बताई है। जिस तरह से मांझी सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे, कहीं उसी का खामियाजा तो उन्हें नहीं भुगतना पड़ा है।