वैशाली में कोचिंग जा रही छात्रा से छेड़खानी, केस वापस लेने का दबाव, पूरे परिवार को जान से मारने की दी धमकी पुल निर्माण के दौरान मिट्टी धंसने से 10 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत, बकरी चराने के दौरान हादसा BIHAR: निषाद आरक्षण पर राजनीति तेज, VIP ने BJP पर जनता को बरगलाने का लगाया आरोप मुजफ्फरपुर में बेपटरी हुई मालगाड़ी, बाल-बाल बचा रेल कर्मी, ट्रेनों का परिचालन बाधित Bihar News: नहाने के दौरान डूबने से दो लड़कियों की मौत, दादा को खाना पहुंचाने गई थीं दोनों बच्चियां आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी
1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Tue, 18 Mar 2025 05:28:36 PM IST
- फ़ोटो reporter
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में मंगलवार को उस समय हलचल मच गई जब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल और वीआईपी प्रमुख एवं पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की पटना में मुलाकात हुई। विधानसभा चुनाव से पहले इस खास मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
श्रवण कुमार अग्रवाल और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं हालांकि, श्रवण कुमार अग्रवाल ने इसे एक व्यक्तिगत भेंट बताया है। उन्होंने कहा, "मुकेश सहनी अति पिछड़ा समाज के एक बड़े नेता हैं और राज्य की राजनीति में उनका व्यापक प्रभाव है। उनसे मेरा पुराना और व्यक्तिगत संबंध रहा है, इसी नाते मैं उनसे मिलने गया था।
जिस तरह यह मुलाकात एक घंटे से भी अधिक समय तक चली, उसे लेकर कई राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार की राजनीति में इस बैठक के दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। विशेष रूप से, जब बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं, तब इस तरह की मुलाकातों का महत्व और बढ़ जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के वोट बैंक को साधने की रणनीति के तहत यह मुलाकात हुई हो सकती है। अब देखना यह होगा कि यह मुलाकात महज एक शिष्टाचार भेंट थी या इसके पीछे कोई बड़ी राजनीतिक योजना छिपी हुई है। आने वाले दिनों में इस पर और स्पष्टता आ सकती है।