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बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता जेडीयू से दूरी बनाएंगे? मुख्यमंत्री नीतीश की मुश्किलें बढ़ीं !

Muslim vote Bank : वक्फ़ संशोधन विधेयक पर जेडीयू के समर्थन से नाराज़ मुस्लिम समुदाय, इमारत-ए-शरिया सहित कई संगठनों ने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया,ऐसे में आगामी चुनावों में जेडीयू के लिए मुस्लिम वोटबैंक खिसकने की आशंका है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Mar 2025 07:07:31 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Bihar Muslim Vote Bank : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया इफ्तार पार्टी में मुस्लिम संगठनों के बहिष्कार ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। इमारत-ए-शरिया और छह अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस आयोजन से दूरी बनाते हुए वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर जेडीयू के रुख का विरोध किया। इस घटनाक्रम ने जेडीयू और बिहार के मुस्लिम समुदाय के बीच दरार को उजागर कर दिया है, जो नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति का हमेशा से अहम हिस्सा रहा है।

नीतीश के मुस्लिम समर्थन पर संकट?

बीते दो दशकों में नीतीश कुमार ने पसमांदा मुसलमानों को विशेष रूप से साधने की रणनीति अपनाई थी। 2005 के चुनाव के दौरान उन्होंने पसमांदा मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी, जिसका फायदा उन्हें सत्ता में आने के बाद भी मिला। कब्रिस्तान घेराबंदी योजना, भागलपुर दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने की पहल, ये सभी फैसले नीतीश कुमार ने उठाये थे .लेकिन 2024 में वक्फ़ बिल पर उनका रुख मुस्लिम समुदाय को नाराज़ करने वाला साबित हुआ। इमारत-ए-शरिया ने खुले तौर पर जेडीयू पर बीजेपी के एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया और कहा कि नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में असफल रहे हैं।

क्या जेडीयू के लिए मुश्किल होंगे 2025 विधानसभा चुनाव?

जेडीयू के नेताओं का मानना है कि मुस्लिम समुदाय अब भी नीतीश कुमार के साथ है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक समीकरण इसे पुष्ट नहीं करते। किशनगंज जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ़ बिल को लेकर ज़बरदस्त नाराज़गी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरजेडी, कांग्रेस और एआईएमआईएम अब इस मुस्लिम असंतोष को अपने पक्ष में करने की कवायद में लग गए है | बिहार में हाल ही में हुई जातिगत जनगणना के अनुसार, मुस्लिम आबादी 17% है, जिनमें से 73% पसमांदा समुदाय यानि पिछड़े समुदाय से आते हैं। यही वर्ग जेडीयू का मजबूत वोट बैंक था, लेकिन अब उसमें सेंध लगने के संकेत मिल रहे हैं।

आरएसएस एजेंडा पर मुहर लगाने का आरोप

जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने एक बार संसद के पटल पर कहा था कि "वक्फ़ बोर्ड संशोधन बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है।" लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवियों का मानना है कि जेडीयू अब आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रही है और यही कारण है कि मुस्लिम समुदाय खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

 क्या जेडीयू के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगेगी?

वक्फ़ बिल को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी मुस्लिमों के गुस्से का सामना कर रही है। बिहार के आगामी लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा जेडीयू के लिए चुनौती बन सकता है। आरजेडी और कांग्रेस पहले से ही मुस्लिम वोटबैंक को साधने में जुटे हैं, और अगर मुस्लिम समुदाय जेडीयू से दूरी बनाता है, तो 2025 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर हो सकती है।