ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: CBI की विशेष अदालत में सृजन घोटाले का ट्रायल शुरू, पूर्व DM वीरेन्द्र यादव आरोप तय Bihar News: अब बिहार सरकार नहीं बनाएगी नेशनल हाईवे, निर्माण और मरम्मत का जिम्मा NHAI के हवाले Bihar News: बिहार-झारखंड के इन शहरों के बीच फिर होगा स्पेशल ट्रेन का परिचालन, यात्रियों के लिए बड़ी राहत Bihar News: पटना में युवक की आत्महत्या से मची सनसनी, जांच में जुटी पुलिस Bihar News: बिहार के 24 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी, बाढ़ का संकट और भी गहराया.. सहरसा में रुई के गोदाम में लगी भीषण आग, दमकल की 4 गाड़ियों ने पाया काबू अरवल में इनोवा कार से 481 लीटर अंग्रेज़ी शराब बरामद, पटना का तस्कर गिरफ्तार Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: बिहार में पेशी के दौरान कोर्ट कैंपस से कैदी फरार, पुलिस ने घर से दबोचा

बिहार की राजनीति की मुख्य धारा से आउट हुए प्रशांत किशोर, PU छात्र संघ इलेक्शन के रिजल्ट से फिर वोटकटवा ही साबित हुए

बिहार की राजनीति में खुद को बड़े दावेदार के रूप में पेश करने वाले प्रशांत किशोर अब राजनीति के मुख्यधारा से बाहर हो गये हैं. पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में उनकी पार्टी जनसुराज ने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन करारी हार मिली.

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Mon, 31 Mar 2025 07:51:51 PM IST

BIHAR POLITICS

प्रशांत किशोर राजनीति से आउट - फ़ोटो GOOGLE

PATNA: करीब दो साल से बिहार में घूम कर बड़े बड़े दावे कर रहे प्रशांत किशोर मुख्यधारा की राजनीति से बाहर हो चुके हैं. पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव के रिजल्ट से भी एक बार फिर यही साबित हुआ. इससे पहले बिहार विधानसभा की 4 सीटों पर हुए उप चुनाव और विधान परिषद उपचुनाव में भी प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जनसुराज वोटकटवा बन कर सामने आयी थी. 


सारी ताकत झोंक कर भी कुछ हासिल नहीं

दो दिन पहले पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ का चुनाव संपन्न हुआ है. इस चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने बड़ी ताकत लगा कर उम्मीदवार उतारे थे. वैसे तो छात्र संघ के चुनाव में कई पार्टियों के छात्र विंग के नेता मैदान में थे. लेकिन इस चुनाव से जनसुराज के अलावा किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी ने अभिरूचि नहीं दिखायी.


सिर्फ प्रशांत किशोर की पार्टी ने ही धन-बल सब झोंक दिया था. दरअसल प्रशांत किशोर औऱ पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ का नाता पुराना है. प्रशांत किशोर जब जेडीयू के नेता हुआ करते थे तब पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ पर छात्र जेडीयू के कब्जे की रणनीति तैयार की थी. उस वक्त प्रशांत किशोर की बेचैनी इस कदर थी कि वे छात्र संघ चुनाव के बीच पटना यूनिवर्सिटी के वीसी के घर पर पहुंच गये थे. इसको लेकर दूसरे छात्र संगठनों ने भारी हंगामा भी किया था. 


सारी सीट पर हार मिली

पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पांच पदों के 29 मार्च को वोटिंग हुई थी. प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने सभी पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन अध्यक्ष पद पर जनसुराज के उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था. छात्र संघ चुनाव के रिजल्ट में अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बाजी मार ली. वहीं, उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर निर्दलीय प्रत्याशी जीत गये. संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष पद पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की जीत हुई. छात्र संघ चुनाव में दो निर्दलीय उम्मीदवार जीत गये लेकिन प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवारों की बेहद बुरी हालत हुई. 


कांग्रेस का दामन थामने की चाल भी बेअसर

किसी पार्टी से समझौता नहीं करने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर ने पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर दिया था. अध्यक्ष पद के लिए जनसुराज के उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने के बाद जनसुराज पार्टी ने इस पद के लिए कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को समर्थन देने का ऐलान किया था. लेकिन फिर भी एनएसयूआई का कैंडिडेट अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं जीत पाया.


वोटकटवा बन कर रहे प्रशांत किशोर

पिछले तीन चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी का जो हश्र हुआ है, उससे उनकी इमेज वोटकटवा पार्टी की बन गयी है. करीब पांच महीने बिहार की चार विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुए थे. पिछले साल नवंबर महीने में हुए उप चुनाव में प्रशांत किशोर ने अपनी ताकत दिखा देने का ऐलान किया था. उनकी पार्टी जनसुराज ने चारों सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 


वैसे, उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी का शुरू से हाल ये था कि नाम घोषित करने के बाद चार में से दो सीटों पर उम्मीदवार बदलना पड़ा. फिर जब वोटिंग के बाद रिजल्ट आये तो ये तथ्य सामने आया कि जनसुराज सिर्फ वोट काटने वाली पार्टी साबित हुई है. तरैया, रामगढ़, बेला और इमामगंज में हुए उपचुनाव में प्रशांत किशोर ने सारी ताकत झोंकी थी. स्थानीय लोग बता रहे थे कि पैसा तो पानी की तरह बहाया जा रहा था.


लेकिन जब रिजल्ट आया तो पता चला कि तरैया और रामगढ़ में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज एनडीए का कुछ वोट काटने पायी. जनसुराज में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम कैंडिडेट दिया था लेकिन मुसलमानों ने जनसुराज को वोट नहीं दिया. सिर्फ इमामगंज एक ऐसा क्षेत्र था, जहां प्रशांत किशोर की पार्टी ने एनडीए के वोट में अच्छी खासी सेंधमारी की. लिहाजा वहां से हम पार्टी की कैंडिडेट की जीत का फासला कम रहा. 


विधानसभा उप चुनाव में भद्द पिटने के बाद प्रशांत किशोर की पार्टी तिरहुत स्नातक क्षेत्र पर हुए विधान परिषद उप चुनाव में मैदान में उतर गयी. वहां भी बिना साधन वाले निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी भारी अंतर से चुनाव जीत गये. जनसुराज का सारा साधन संसाधन किसी काम नहीं आया.


बीपीएससी आंदोलन से भी फजीहत हुई

उप चुनावों में भारी फजीहत के बाद प्रशांत किशोर बीपीएससी 70वीं परीक्षा के खिलाफ कुछ अभ्यर्थियों के आंदोलन में कूद पड़े. लेकिन छात्रों को गांधी मैदान में जुटाकर खुद निकल जाने, आंदोलनकारियों छात्रों के धरनास्थल पर जाकर कंबल का रौब दिखाने और अनशनस्थल पर लक्जरी वैनिटी वैन लगाने जैसे वाकयों के सामने आने से उनकी जमकर भद्द पिटी. बाकी कसर बीपीएससी परीक्षा पर पटना हाईकोर्ट के फैसले ने पूरी कर दी. हाईकोर्ट के फैसले से साफ हो गया कि प्रशांत किशोर के कथित आंदोलन का कोई आधार नहीं है.


बिहार की राजनीति में अब चर्चा नहीं

अब बिहार के राजनीति में प्रशांत किशोर की कोई चर्चा नहीं हो रही है. वैसे मुख्यधारा की सियासी पार्टियों को डर इस बात का है कि प्रशांत किशोर कुछ सीटों पर वोटकटवा की भूमिका निभा सकते हैं. ज्यादा डर एनडीए को है. महागठबंधन बेफिक्र है क्योंकि यादव-मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाने की प्रशांत किशोर की हर कोशिश फेल हो चुकी है.