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Amavasya 2025: साल 2025 की पहली अमावस्या, एक दुर्लभ संयोग और विशेष महत्व

साल 2025 की पहली अमावस्या 29 जनवरी को आ रही है, जो खास और दुर्लभ संयोग लेकर आई है। यह अमावस्या 'मोनी अमावस्या' के रूप में मनाई जाएगी, और इस दिन महाकुंभ का शाही स्नान भी होगा, जो 144 वर्षों बाद हो रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 18 Jan 2025 07:40:45 PM IST

Amavasya 2025

Amavasya 2025 - फ़ोटो Amavasya 2025

Amavasya 2025: साल 2025 की पहली अमावस्या 29 जनवरी को आ रही है, जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन का महत्व न केवल पितरों की श्रद्धांजलि के रूप में है, बल्कि इसमें स्नान, दान और पवित्र कर्मों का भी विशेष महत्व है। यह अमावस्या 'मोनी अमावस्या' कहलाती है, और इस दिन के साथ महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान भी जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं, पंडित नंदकिशोर मुदगल से कि यह खास अमावस्या कब है और इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं।


कब है 2025 की पहली अमावस्या?

ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल के अनुसार, 2025 की पहली अमावस्या 29 जनवरी को पड़ेगी। इस दिन का महत्व इस कारण भी बढ़ जाता है कि यह मोनी अमावस्या है और इस दिन प्रयागराज में महाकुंभ का शाही स्नान होगा। यह संयोग 144 वर्षों बाद देखने को मिलेगा।


अमावस्या तिथि का समय:

अमावस्या तिथि की शुरुआत: 28 जनवरी 2025, शाम 7:29 बजे।

तिथि का समापन: 29 जनवरी 2025, शाम 6:25 बजे।

उदयातिथि के आधार पर स्नान और व्रत का दिन: 29 जनवरी 2025।


महाकुंभ का महत्व और पुण्यदायक स्नान

इस अमावस्या के दिन प्रयागराज में महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान होगा, जो इस साल का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन शाही स्नान से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल सकती है। मोनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन के साथ एक सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है, जो इसे और भी खास बनाता है।


सिद्ध योग का समय: 29 जनवरी को सुबह से लेकर रात 8:55 बजे तक सिद्ध योग का प्रभाव रहेगा। इस योग में किए गए स्नान, दान और तर्पण का पुण्य कई गुना अधिक होता है। गंगा स्नान करने और पितरों को तर्पण अर्पित करने से पितृ दोष दूर होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।


अमावस्या के दिन क्या करें?

गंगा स्नान करें: इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। यदि गंगा में स्नान नहीं कर सकते तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

पितरों को तर्पण अर्पित करें: स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पितरों को तर्पण अर्पित करें।

दान करें: तिल, अन्न और वस्त्र का दान करें। शनि के दोषों से मुक्ति पाने के लिए तिल का दान विशेष रूप से लाभकारी है।

सात्विक भोजन करें: इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें और दूसरों को भी भोजन कराएं।

ध्यान और साधना: मोनी अमावस्या का अर्थ है मौन रहकर ध्यान और साधना करना। आत्मचिंतन और आत्मिक शांति के लिए यह उत्तम दिन है।

मंत्र जाप और पूजा: इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें और पवित्र मंत्रों का जाप करें।


साल 2025 की पहली अमावस्या का दिन विशेष रूप से पुण्यकारी है। यह दिन पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का है। साथ ही, इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना अधिक होता है। मोनी अमावस्या पर किया गया गंगा स्नान, तर्पण और दान न केवल पितृदोष निवारण करता है, बल्कि व्यक्ति को जीवन में शांति और समृद्धि भी प्रदान करता है। इस दिन का सही उपयोग करके हम आत्मिक शांति और परिवार में खुशहाली ला सकते हैं।