Bihar Crime News: काजू हत्याकांड का पुलिस ने किया खुलासा, वारदात में शामिल दो बदमाश अरेस्ट; शक के घेरे में बिहार का दारोगा पूर्वी चंपारण में शर्मनाक घटना: टैंकर के पलटने के बाद तेल लूटने की मची होड़, किसी ने नहीं की घायल ड्राइवर की मदद Bihar Transport News: 1.24 लाख घूस लेने में अदना सा 'परिवहन सिपाही' पर केस..हाकिम तो बच गए ! किसके इशारे पर महिला के खाते में मंगवाई गई राशि ? घर पर ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते 11 साल के बच्चे से प्यार कर बैठी 23 साल की लेडी टीचर, घुमाने के बहाने कई होटल में ले जाकर किया गंदा काम Bihar News: बाइक समेत गड्ढे में जा गिरे तीन दोस्त, दो की मौके पर हुई मौत; बकरी के चक्कर में गई जान Caste census india: जाति जनगणना की अनदेखी करने वाली कांग्रेस अब मुखर, बीजेपी की सहमति के पीछे क्या है राज? Bihar Mausam Update: बिहार के इन 9 जिलों में शाम तक आंधी-पानी-वज्रपात की चेतावनी, कौन-कौन जिला हैं शामिल जानें.... PIL Pahalgam Attack Rejected: मौजूदा समय सेना पर सवाल उठाने का नहीं, बल्कि एकजुट रहने का है: सुप्रीम कोर्ट Labour Law India: लेबर लॉ के पालन न होने की वजह से, जानिए कैसे सरकारी नौकरी बन गई भारतीय युवाओं की पहली पसंद? Chanakya Niti: इन 4 जगहों पर भूलकर भी न खोलें अपना मुंह, वरना टूट सकता है मुसीबतों का पहाड़
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 30 Apr 2025 04:38:06 PM IST
अपनी कद्दू की फसल के साथ भोजपुर का एक किसान - फ़ोटो google
Bihar Farmers: बिहार के भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड में धुसरीया गांव के किसान कद्दू की खेती से अपनी आर्थिक स्थिति को न केवल बेहतर बना रहे हैं, बल्कि नवाचार के जरिए पारंपरिक खेती को नए आयाम भी दे रहे हैं. किसान लोरिक पासवान जैसे किसानों ने कद्दू की खेती को अपनाकर न सिर्फ अपनी कमाई दोगुनी की है, बल्कि आसपास के गांवों के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं. शादी के सीजन में लौकी की मांग बढ़ने से इन किसानों को मोटा मुनाफा हो रहा है.
भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के धुसरीया गांव में कद्दू की खेती ने किसानों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं. यहां के किसान लोरिक पासवान ने दस साल पहले सब्जी की खेती शुरू की थी, और इस साल उन्होंने चार बीघा जमीन पर लौकी की खेती की. लोरिक बताते हैं कि चार महीने में लौकी के पौधे तैयार हो जाते हैं और फसल देना शुरू कर देते हैं. उनकी देखा-देखी गांव के अन्य किसानों ने भी लौकी की खेती शुरू की, जिससे धुसरीया गांव अब लौकी उत्पादन के लिए जाना जाने लगा है.
लोरिक पासवान ने बताया कि चार बीघा में लौकी की खेती के लिए जुताई, बुवाई, सिंचाई, और अन्य खर्चों में करीब 80,000 रुपये का निवेश हुआ. इसके बदले में, खासकर शादी-विवाह के सीजन में, उन्हें चार लाख रुपये तक की आमदनी हुई. यह पारंपरिक फसलों जैसे धान, गेहूं, या मक्का की तुलना में कहीं अधिक मुनाफा है. लोरिक कहते हैं, "धान-गेहूं से सिर्फ जीवन यापन हो सकता है, लेकिन अच्छी कमाई के लिए सब्जी की खेती ही सबसे बेहतर उपाय है."
इस बारे में बात करते हुए लोरिक सलाह देते हैं कि छोटे पैमाने पर सब्जी की खेती करने के बजाय बड़े पैमाने पर करें, ताकि बाजार में मांग की समस्या न हो. प्रत्येक दो दिन में उनके खेत से 600 से 800 किलो लौकी निकलती है, जिसे आरा, छपरा, और कायमनगर के बाजारों में सप्लाई किया जाता है. कई व्यापारी सीधे उनके खेतों पर आकर लौकी खरीदते हैं, जिससे बिक्री की प्रक्रिया भी बेहद आसान हो जाती है.
बताते चलें कि कद्दू की खेती करने के कई कारण हैं जो इसे विशेष बनाते हैं. लौकी के पौधे चार महीने में फसल देने लगते हैं, जिससे किसानों को जल्दी रिटर्न मिलता है. मतलब कम समय में डबल मुनाफा. साथ ही इस फसल में कम सिंचाई की जरूरत होती है. गर्मी में लौकी की खेती कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है, जो बिहार जैसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है.
बाजार में इस सब्जी की अच्छी खासी मांग है, शादी-विवाह के सीजन में लौकी की मांग और भी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को अच्छा भाव मिलता है. साथ ही बिहार की उपजाऊ मिट्टी और जलवायु लौकी की खेती के लिए आदर्श है.