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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Feb 2025 12:19:21 PM IST
birds - फ़ोटो birds
दक्षिण बिहार क्षेत्र में हाल ही में संपन्न एशियाई जलपक्षी जनगणना (AWC-2025) में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई। दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUSB) के शोधकर्ताओं ने 119 विभिन्न प्रजातियों के 9381 जलपक्षियों को दर्ज किया है। विश्वविद्यालय के जीवन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. राम प्रताप सिंह ने अध्ययन का नेतृत्व किया।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने औरंगाबाद, अरवल, गया, जहानाबाद, नवादा और भोजपुर के 12 प्रमुख वेटलैंड्स का सर्वेक्षण किया। खासकर नवादा जिले में स्थित हरदिया डैम पक्षी प्रेमियों के लिए एक बड़ा आकर्षण बनकर उभरा, जहां 52 प्रजातियों के 1286 जलपक्षियों का एक विशाल समूह दर्ज किया गया। इस बार शोधकर्ताओं ने जोग जलाशय, तारकोल डैम, भंवरकोल वेटलैंड और सिपुर जलाशय जैसे नए वेटलैंड्स को भी अपनी सूची में शामिल किया, जिससे इस गणना में 1672 अतिरिक्त पक्षी जुड़ गए।
बिहार के सबसे बड़े वेटलैंड में से एक इंद्रपुरी बैराज वेटलैंड में अकेले 2268 जलपक्षियों की मौजूदगी दर्ज की गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि यहां नॉब बिल्ड डक, गडवाल, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, यूरेशियन विजन, कॉमन टील, कॉटन टील, नॉर्दर्न शॉवलर और गार्गनी जैसे जलपक्षियों के झुंड देखे गए।
पाताल गंगा झील में कॉमन टील और कॉमन ग्रीनशैंक के 200 से अधिक पक्षी देखे गए, जो इस झील के पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। बरंडीह वेटलैंड में रूडी शेल्डक और छोटी सीटी बजाने वाली बत्तखों के झुंड भी पाए गए, जिससे इस क्षेत्र की जैव विविधता और भी महत्वपूर्ण हो गई। भोजपुर जिले में गंगा नदी के तल का भी अध्ययन किया गया, जहां ब्लैक स्टॉर्क, पाइड एवोकेट और बार हेडेड गूज की अच्छी संख्या ने शोधकर्ताओं को आश्चर्यचकित कर दिया। यह इस क्षेत्र को हिमालय से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन आवास के रूप में चिह्नित करता है।
प्रो. राम प्रताप सिंह के अनुसार वेटलैंड इंटरनेशनल और एशियन वेटलैंड ब्यूरो द्वारा एशियाई जलपक्षी जनगणना कार्यक्रम (AWC) का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 32 जिलों में 109 वेटलैंड को कवर करने का लक्ष्य रखा है। बिहार में इतनी बड़ी संख्या में जलपक्षियों की मौजूदगी वेटलैंड संरक्षण की आवश्यकता को दर्शाती है। अगर इन क्षेत्रों को संरक्षित किया जाए तो बिहार यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन सकता है।