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1st Bihar Published by: SONU Updated Tue, 26 Aug 2025 01:21:59 PM IST
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Bihar News: कटिहार जिले के मनिहारी नगर पंचायत से जुड़ा एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। जिला प्रशासन द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में नगर पंचायत के कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की है। यह घोटाला स्थानीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विकास कुमार ओझा की शिकायत के बाद उजागर हुआ।
स्थानीय निवासी विकास कुमार ओझा ने नगर पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें विकास योजनाओं के कागजों तक ही सीमित रहने और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे। उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला पदाधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जिसने गहन समीक्षा के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
जांच समिति की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि मनिहारी बस स्टैंड परिसर में नगर पंचायत ने जबरन स्थायी दुकानों का निर्माण करवाया। यह निर्माण न केवल गैरकानूनी था, बल्कि इसके बदले करीब 7 लाख रुपये की सार्वजनिक राशि भी ठेकेदार को दी गई। उल्लेखनीय है कि यह जमीन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की है, जिस पर नगर पंचायत का कोई स्वामित्व नहीं है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, बस स्टैंड बैरियर की निविदा प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। बैरियर का ठेका 70 लाख रुपये में दिया गया था, लेकिन संबंधित पक्षों की मिलीभगत से वास्तविक वसूली को छुपाकर करोड़ों रुपये का नुकसान सरकारी खजाने को पहुंचाया गया। रिपोर्ट में इस कृत्य को स्पष्ट रूप से लूट और घोर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में रखा गया है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान कराए गए अधिकांश कार्यों में निर्धारित निविदा प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए फर्जी बिल और दस्तावेजों का उपयोग किया गया। समिति ने नगर पंचायत अध्यक्ष लाखों यादव के पूरे कार्यकाल की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके कार्यकाल में कराए गए लगभग सभी विकास कार्य या तो अधूरे हैं या उनमें गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां हैं।
इस पूरे मामले में पत्रकार विकास कुमार ओझा की भूमिका महत्वपूर्ण रही। उन्होंने लगातार नगर पंचायत प्रशासन के भ्रष्ट आचरण पर आवाज उठाई और सबूतों के साथ जिला प्रशासन को शिकायत सौंपी। उनका आरोप था कि नगर में विकास कार्य केवल कागजों पर हो रहे हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
इस घोटाले ने स्थानीय जनता के बीच गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। नागरिकों का कहना है कि वे वर्षों से मूलभूत सुविधाओं की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं। अब यह मामला न केवल वित्तीय धोखाधड़ी का है, बल्कि आम लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात का भी है।
जांच रिपोर्ट जिला पदाधिकारी को सौंप दी गई है और यह मामला अब उच्च स्तर पर पहुंच गया है। संभावना है कि राज्य सरकार इस पर विजिलेंस जांच का आदेश दे सकती है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, रिपोर्ट में जिन बिंदुओं का उल्लेख है, वे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और लोक निधि की हानि जैसे गंभीर अपराधों के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है। अब निगाहें इस पर हैं कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार दोषियों को क्या सजा दिलवाते हैं।
कटिहार से सोनू चौधरी की रिपोर्ट..