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EOU की बड़ी कार्रवाई: आधार फर्जीवाड़े मामले में मधेपुरा से 3 साइबर अपराधी गिरफ्तार

मधेपुरा में ईओयू ने आधार फर्जीवाड़े के बड़े मामले का खुलासा किया। छापेमारी में 3 साइबर अपराधी गिरफ्तार हुए, जो फर्जी वेबसाइट और सिलिकॉन फिंगरप्रिंट का उपयोग कर आधार डेटा में हेरफेर करते थे। UIDAI को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गई।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 10:37:06 PM IST

बिहार

एक्शन में EOU - फ़ोटो सोशल मीडिया

MADHEPURA: आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने आधार फर्जीवाड़े मामले में मधेपुरा से 3 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये तीनों बिहार के ही रहने वाले हैं। इनकी पहचान रामप्रवेश कुमार, मिथिलेश कुमार और विकास कुमार के रूप में हुई है।


अपर पुलिस महानिदेशक, आर्थिक अपराध इकाई के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में एवं पुलिस उप-महानिरीक्षक (साइबर), आर्थिक अपराध इकाई, बिहार पटना के द्वारा गठित टीम के द्वारा छापामारी कर मधेपुरा पुलिस के सहयोग से उक्त अभियुक्त की गिरफ्तारी की गयी।


बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की साइबर विंग ने एक बड़े साइबर अपराध गिरोह का पर्दाफाश किया था, जो ECMP Software, UCL Source Code और ayushman.site जैसी 6-7 नकली अवैध वेबसाइट का प्रयोग कर आधार के डाटा को Modify करने, Silicon Finger Print का प्रयोग कर Identity Theft करने आम नागरिको के अनुमति के बिना उनके बायोमैट्रिक एवं पहचान पत्र को गलत मनसा से प्राप्त कर उसका डाटा साइबर अपराधियों को बेचने एवं फर्जी दस्तावेज तैयार कर व्यापक धोखाधड़ी करता था। 


इस मामले में, ईओयू ने आर्थिक अपराध थाना काण्ड सं0-23/2025 दिनांक 09.09.2025 धारा (316(3) / 338) / 340 * (2) / 61 * (2) बी0एन0एस0, 66/66 * (C) / 66 * (D) / 72 Act-2000 एवं धारा-37/38/40/41 आधार (वित्तिय एवं अन्य सब्सिडी, लाभ एवं सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम 2016 दर्ज कर गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।


राम प्रवेश ने 2021 में मैट्रिक पास कर अपना खुद का साइबर कैफे खोला, जिसका नाम राम प्रवेश टेलीकॉम था। शुरुआत में साइबर कैफे में वह पैन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और अन्य फॉर्म भरने जैसे काम करता था। बाद में, सी०एस०सी० आई०डी० प्राप्त किया एवं अवैध गतिविधियों में लिप्त होना शुरू कर दिया, CSC के संचालन के क्रम में मैं कई लोगों को बायोमैट्रिक, पहचान पत्र को प्राप्त कर गलत मंशा से एवं उनके संज्ञान के बिना फर्जी अभिलेख बनाने का काम किया करता था।


रामप्रवेश ने आधार डाटा को संकलन करने के लिये कई नकली वेबसाइट बनाया, उसने YouTube और Google का उपयोग करके फर्जी UCL आधार पोर्टल बनाना सीखा। उसने एक विक्रेता से UCL Source Code खरीदा उक्त UCL Source Code का उपयोग करके, उसने ayushman.site, UCL NEHA, और UCL Aadhaar जैसी 6-7 नकली वेबसाइटें बनाई। इन वेबसाइटों का इस्तेमाल लोगों के आधार और बायोमेट्रिक डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता था। उसने इन वेबसाइटों को कई लोंगो को बेचा और वहाँ से बायोमैट्रिक डाटा का अवैध प्रयोग एवं दुरुपयोग किया गया।


राम प्रवेश ने विकास के माध्यम से नीतीश नामक एक व्यक्ति से संपर्क किया। नीतीश ने एनीडेस्क का उपयोग करके राम प्रवेश के लैपटॉप पर अवैध रुप से ECMP (आधार सॉफ्टवेयर) डाउनलोड किया। ECMP जो आधार का सॉफ्टवेयर है, उसपर डाटा Modification के लिए आधार के ऑपरेटर का बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन चाहिए होता है और ऑपरेटर के मोबाईल पर OTP आता है। ECMP लॉगिन आई०डी० प्राप्तकर्ताओं की मिलीभगत से रामप्रवेश ने बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन के लिये सिलिकॉन फिंगर प्रिंट बनाया जिससे ECMP को एक्सेस करना आसान हो गया। उनकी सहमति से ECMP को लॉगिन करने के लिये रामप्रवेश राजस्थान के कई लॉगिन आई०डी० का उपयोग करता था एवं आधार सिस्टम को बाईपास करते हुये लोगो के आधार में संशोधन करते थे।


इस प्रकार रामप्रवेश और उसके सहयोगी आम नागरिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभदिलाने के नाम पर झांसा देकर उनसे बायोमैट्रिक एवं उनके पहचान पत्र की प्रतियाँ प्राप्त करते थे एवं डाटा का संकलन कर वेबसाईट में सेव कर विभिन्न साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराते थे। यह न सिर्फ आधार सुरक्षा में सेंधमारी से जुड़ा मुद्दा है साथ ही साइबर अपराध में ये डाटा प्रयोग किया जाता है। इस कांड के उद्भेदन से आधार प्रणाली में जो कमियाँ पायी गयी हैं उससे संबंधित विस्तृत प्रतिवेदन UIDAI को समर्पित किया जा रहा है। आगे की जांच जारी है और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों और नेटवर्क का पता लगाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।