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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 21 Jul 2025 08:40:48 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: मुजफ्फरपुर के निलंबित उप समाहर्ता भूमि सुधार पश्चिमी धीरेंद्र कुमार की कार्यशैली ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही का गंभीर मामला उजागर किया है। वर्तमान DCLR पश्चिमी स्नेहा कुमारी के निरीक्षण में खुलासा हुआ है कि धीरेंद्र ने डेढ़ साल के कार्यकाल में 2000 से अधिक जमीन विवाद के मामलों को दबाए रखा, जिनमें से 1500 मामलों की सुनवाई तक नहीं हुई और नोटिस भी जारी नहीं किए गए।
निरीक्षण में पता चला कि धीरेंद्र ने 92 मामलों को ऑनलाइन डिस्पोज्ड दिखाया, लेकिन उनके आदेशों की प्रति ऑनलाइन दर्ज ही नहीं की गई। इसके अलावा 380 मामलों को आदेश के लिए लंबित रखा गया, लेकिन एक भी आदेश जारी नहीं हुआ। हैरानी की बात यह है कि निलंबन के दिन धीरेंद्र ने मोतीपुर के कई मामलों में बिना सुनवाई के दर्जनभर आदेश जारी कर दिए, जो पूरी तरह नियमविरुद्ध थे। स्नेहा कुमारी ने इन सभी 92 मामलों की पुनः सुनवाई और 380 लंबित मामलों की तारीख तय करने का आदेश दिया है।
धीरेंद्र कुमार ने राजस्व संबंधी कार्यों में गंभीर लापरवाही बरती है और मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण के बार-बार निर्देशों को नजरअंदाज किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में जमीन विवादों और अधिकारियों की लापरवाही की शिकायतों के बाद मुख्य सचिव ने सख्ती बरतने के आदेश दिए थे, लेकिन धीरेंद्र ने इनका पालन नहीं किया। नतीजतन, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने मई में उन्हें निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय तिरहुत प्रमंडल आयुक्त कार्यालय, मुजफ्फरपुर में रखा गया है।
स्नेहा कुमारी के निरीक्षण में यह भी सामने आया है कि कार्यालय की रोकड़ बही का 6 अगस्त 2024 से सत्यापन ही नहीं हुआ था। अनुशासन बनाए रखने के लिए कोर्ट के बाहर ताला बंद नोटिस बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया है। धीरेंद्र की लापरवाही से मुजफ्फरपुर में जमीन विवादों का निपटारा रुका रहा, जिसे विभाग और सरकार अपराध बढ़ने का एक प्रमुख कारण मानती है।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने धीरेंद्र की कारस्तानी को गंभीरता से लेते हुए मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार भूमि सुधार अधिनियम के तहत DCLR कोर्ट में जमीन विवादों का समयबद्ध निपटारा जरूरी है, लेकिन धीरेंद्र की लापरवाही ने हजारों रैयतों को परेशानी में डाल दिया है।