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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 11 Sep 2025 10:38:54 AM IST
मुजफ्फरपुर MDM घटना - फ़ोटो FILE PHOTO
Bihar News : बिहार में मध्यान्ह भोजन योजना (Mid Day Meal - MDM) एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय पोखरैरा बिचला टोला में बुधवार को दर्जनों बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बच्चों ने स्कूल में परोसे गए मिड-डे मील खाने के बाद उल्टी, पेट दर्द और चक्कर आने की शिकायत की। देखते ही देखते हालात गंभीर हो गए और आनन-फानन में सभी बच्चों को नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुंचाया गया।
प्रधान शिक्षक रमेश राम ने जानकारी दी कि बुधवार को विद्यालय में अर्द्धवार्षिक परीक्षा चल रही थी। स्कूल में कुल 102 नामांकित बच्चों में से 100 उपस्थितथे। पहली पाली की परीक्षा समाप्त होने के बाद बच्चे भोजन करने बैठे। उसी दौरान परोसी गई सब्जी में छिपकली गिर गई। जानकारी मिलते ही भोजन को फेंकवाया गया, लेकिन तब तक कई बच्चे खाना खा चुके थे।करीब आधे घंटे के अंदर ही बच्चों में उल्टी, पेट दर्द और चक्कर की शिकायत शुरू हो गई। तुरंत शिक्षकों ने सभी को प्राथमिक उपचार के लिए सीएचसी सकरा में भर्ती कराया।
सीएचसी प्रशासन ने बताया कि कुल 62 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इनमें से अधिकांश की स्थिति सामान्य होने पर उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद दवा देकर घर भेज दिया गया। लेकिन 8 बच्चों की हालत गंभीर पाई गई, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH), मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया गया। 52 बच्चों का इलाज सीएचसी में ही कर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। फिलहाल बच्चों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
वहीं, बीमार हुए कुछ छात्र-छात्राओं ने बताया कि खाना खाने के कुछ ही देर बाद उन्हें चक्कर और घबराहट महसूस हुई। इसके बाद उल्टी और पेट दर्द की शिकायत होने लगी। अचानक दर्जनों बच्चों की हालत बिगड़ने पर स्कूल में अफरा-तफरी मच गई।
जिले के डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) अरविंद सिन्हा ने घटना की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि एमडीएम की सब्जी में छिपकली गिरने से यह गंभीर लापरवाही हुई है। उन्होंने बताया कि डीपीओ (जिला कार्यक्रम पदाधिकारी) और बीईओ (प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी) से जवाब-तलब किया गया है। दोनों अधिकारियों को संयुक्त जांच कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
डीईओ ने यह भी माना कि स्थानीय स्तर पर स्कूलों की मॉनिटरिंग में गंभीर कमी है, जिसके कारण ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। बिहार में मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषक आहार उपलब्ध कराना है। लेकिन अक्सर इसमें लापरवाही और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
घटना के बाद अभिभावकों में भारी आक्रोश है। कई लोगों ने सवाल उठाए कि आखिर बच्चों के स्वास्थ्य के साथ इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की गई? माता-पिता का कहना है कि सरकार बच्चों को पढ़ाई के साथ भोजन देने की सुविधा तो देती है, लेकिन उसकी गुणवत्ता पर कोई ठोस नियंत्रण नहीं है। कई अभिभावक एसकेएमसीएच पहुंचे और बच्चों की स्थिति जानने के बाद प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई।
इस घटना ने एक बार फिर एमडीएम योजना पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। क्या स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता की सही तरीके से जांच हो रही है? क्या खाना बनाने और परोसने की प्रक्रिया पर शिक्षकों और प्रशासन की नियमित निगरानी है? अगर छिपकली जैसी घटना हो सकती है, तो बच्चों की सुरक्षा को लेकर और कितनी लापरवाहियां हो सकती हैं?