Bihar News: वेतन न मिलने पर कर्मी ने मैनेजर की बाइक चुराई, पुलिस ने किया गिरफ्तार Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान, बिहार विधानसभा चुनाव का कर सकते हैं बहिष्कार; इसी महीने ले सकते हैं फैसला Tejashwi Yadav: “मेयर और उनके देवर के दो-दो ईपिक नंबर, गुजरात के BJP नेता भी बिहार के वोटर बने”, चुनाव आयोग पर तेजस्वी का हमला INDvsPAK: "हमारे जवान घर वापस नहीं आते और हम क्रिकेट खेलने जाते हैं", एशिया कप पर बड़ी बात बोल गए हरभजन सिंह; मीडिया को भी लपेटा Bihar News: CBI की विशेष अदालत में सृजन घोटाले का ट्रायल शुरू, पूर्व DM वीरेन्द्र यादव पर आरोप तय Bihar News: अब बिहार सरकार नहीं बनाएगी नेशनल हाईवे, निर्माण और मरम्मत का जिम्मा NHAI के हवाले Bihar News: बिहार-झारखंड के इन शहरों के बीच फिर होगा स्पेशल ट्रेन का परिचालन, यात्रियों के लिए बड़ी राहत Bihar News: पटना में युवक की आत्महत्या से मची सनसनी, जांच में जुटी पुलिस Bihar News: बिहार के 24 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी, बाढ़ का संकट और भी गहराया.. सहरसा में रुई के गोदाम में लगी भीषण आग, दमकल की 4 गाड़ियों ने पाया काबू
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Feb 2025 07:59:32 AM IST
land registry - फ़ोटो land registry
बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री के दौरान रजिस्ट्री दफ्तरों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। सरकारी जांच में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें एमवीआर (न्यूनतम मूल्यांकन पंजी) दरों में हेराफेरी कर सरकार को भारी राजस्व की हानि पहुंचाई गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह अनियमितता पूरे राज्य में फैलेगी, जिसके बाद अब सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और जमीन की रजिस्ट्री करने वालों पर गाज गिर सकती है।
पश्चिम चंपारण के बेतिया के चनपटिया प्रखंड में जमीन निबंधन में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। बिहार सरकार के निबंधन विभाग को इस फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने के बाद सहायक महानिदेशक ने पूरे मामले की जांच कराई। शुरुआती जांच में ही 15.60 लाख रुपये के राजस्व की हानि सामने आई है। जांच में पाया गया कि जमीन की सरकारी दर (एमवीआर) कम दिखाकर निबंधन किया जा रहा था। आवासीय जमीन को कृषि भूमि, मुख्य सड़क की जमीन को सहायक सड़क दिखा दिया गया। इससे सरकार को मिलने वाली रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी में हेराफेरी कर कम टैक्स जमा किया गया।
यह फर्जीवाड़ा आवासीय भूमि को कृषि भूमि के रूप में दर्शाकर किया जा रहा था, क्योंकि कृषि भूमि का एमवीआर कम होता है, जिसके कारण कम टैक्स देकर रजिस्ट्री की जाती थी। साथ ही मुख्य सड़क की भूमि को सहायक सड़क के रूप में दर्शाया जाता था, क्योंकि मुख्य सड़क की भूमि का एमवीआर अधिक होता है, जबकि सहायक सड़क का कम। इस तरह कम एमवीआर दिखाकर सरकार को चूना लगाया जाता था। भूमि की प्रकृति और स्थान के साथ भी छेड़छाड़ की जाती थी। कई मामलों में रजिस्ट्री के दस्तावेजों में भूमि की वास्तविक स्थिति को छिपाया जाता था।
बेतिया में सहायक निबंधन महानिरीक्षक राकेश कुमार ने खुद स्थल निरीक्षण कर फर्जीवाड़ा की पुष्टि की है। अब तक मात्र 12 दस्तावेजों की जांच में 15.60 लाख रुपये के राजस्व की हानि सामने आई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि चनपटिया रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकांश दस्तावेजों में इस तरह से करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी की गई है।
सरकार ने इस मामले में संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं। निबंधन विभाग अब इस घोटाले की गहनता से जांच कर रहा है और जल्द ही इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
पूरे राज्य में भूमि निबंधन से जुड़े दस्तावेजों की दोबारा जांच की जाएगी। फर्जीवाड़ा करने वाले रजिस्ट्री कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भूमि निबंधन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार नए सख्त दिशा-निर्देश लागू कर सकती है। डिजिटल रजिस्ट्री और जीपीएस मैपिंग को अनिवार्य किया जा सकता है ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके।