Ayushman Bharat: ‘आयुष्मान भारत’ योजना से क्यों दूर भाग रहे प्राइवेट अस्पताल? IMA ने बता दी बड़ी वजह

Ayushman Bharat: आयुष्मान भारत योजना से प्राइवेट अस्पताल क्यों कतरा रहे हैं? IMA ने मुख्य कारण बताया। दिल्ली में केवल 67 प्राइवेट अस्पताल शामिल। जानिए पूरी बात...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 27 Jul 2025 09:23:52 AM IST

Ayushman Bharat

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Ayushman Bharat: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना है जो देश की 40% आबादी यानी लगभग 55 करोड़ लोगों को प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज प्रदान करती है। संसद के मानसून सत्र में सरकार ने बताया कि इस योजना के तहत 9.84 करोड़ अस्पतालों को 1.40 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और अब तक 41 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश (5.33 करोड़), मध्य प्रदेश, बिहार और ओडिशा शीर्ष राज्यों में शामिल हैं।


यह योजना 31,466 अस्पतालों के साथ जुड़ी है, जिनमें 14,000 प्राइवेट अस्पताल हैं। हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भुगतान में देरी, कम रीइंबर्समेंट दरों और जटिल दावा प्रक्रिया जैसे मुद्दों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिसके चलते कई प्राइवेट अस्पताल इस योजना से जुड़ने से कतरा रहे हैं।


IMA ने दावा किया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत भुगतान प्रक्रिया बेहद जटिल और समय लेने वाली है। पूरे देश में अस्पतालों के 1.21 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसमें गुजरात में 2021-2023 के बीच 300 करोड़ रुपये और केरल में 400 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है।


इसके अलावा लगभग 64 लाख दावे अभी भी प्रक्रिया में अटके हैं। यह देरी और जटिलता प्राइवेट अस्पतालों के लिए वित्तीय बोझ का कारण बन रही है, क्योंकि उन्हें इलाज के बाद लंबे समय तक भुगतान का इंतजार करना पड़ता है। दिल्ली इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां 1,000 से अधिक प्राइवेट अस्पतालों में से केवल 67 ही इस योजना से जुड़े हैं। IMA का कहना है कि कम रीइंबर्समेंट दरें और बकाया भुगतान प्राइवेट अस्पतालों को योजना में भाग लेने से हतोत्साहित कर रहे हैं।


प्राइवेट अस्पतालों की अनिच्छा का एक अन्य कारण योजना की जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएं हैं। दावों के सत्यापन और मंजूरी में समय लगता है और कई बार दस्तावेजों में मामूली त्रुटियों के कारण दावे खारिज हो जाते हैं। कुछ अस्पतालों ने शिकायत की है कि सर्जरी और उपचार के लिए निर्धारित दरें वास्तविक लागत से कम हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।


कई जगह दावा किया गया कि कुछ प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान कार्ड स्वीकार करने के बाद मरीजों से अतिरिक्त नकद भुगतान मांगते हैं, क्योंकि योजना की रीइंबर्समेंट राशि अपर्याप्त होती है। यह स्थिति न केवल मरीजों के लिए परेशानी का कारण बनती है, बल्कि योजना की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है। IMA ने मांग की है कि भुगतान प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए ताकि अस्पतालों का भरोसा बढ़े।