1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 01:58:50 PM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले के दौरान इस बार बोधगया एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि बागेश्वर बाबा के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बागेश्वर बाबा का आगमन होने जा रहा है। इससे पहले भी धीरेंद्र शास्त्री ने बिहार का दौरा किया था। ऐसे में इस साल तीसरी बार बिहार का अगमन कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, वे 10 से 16 सितंबर 2025 तक बोधगया में प्रवास करेंगे। इस एक सप्ताह के दौरान वे होटल प्रवास के दौरान ही पितृ तर्पण, त्रिपिंडी श्राद्ध, पिंडदान और एकादश भागवत जैसे धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करेंगे। बोधगया प्रवास के दौरान बाबा बागेश्वर के साथ बड़ी संख्या में उनके भक्तगण भी शामिल होंगे, जो पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण आदि धार्मिक क्रियाओं में भाग लेंगे। इसके अतिरिक्त बाबा निश्चित समय पर गया जी के विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी के तट स्थित पिंडवेदी पर भी पहुंचेंगे। पिंडवेदी को पिंडदान की सबसे प्रमुख और पवित्र स्थली माना जाता है।
बाबा बागेश्वर के करीबियों ने गया जी में उनके पारंपरिक तीर्थ पुरोहित गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार से संपर्क किया है और उन्हें उनके आगमन की सूचना दी है। गजाधर लाल कटारिया ने बताया कि वे स्वयं बाबा के पैतृक गांव छतरपुर के तीर्थ पुरोहित हैं और उनके पूर्वजों का पिंडदान भी उन्हीं के माध्यम से हुआ है।
उन्होंने कहा कि उनके बही-खाते में इसका प्रमाण भी मौजूद है कि बाबा बागेश्वर के दादा भगवान दास गर्ग उर्फ सेतुलाल गर्ग ने फसली संवत 1398 (जो कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 1988 होता है) में गया में पिंडदान किया था। यह उनके वंशजों के द्वारा पितृ परंपरा का पालन करने का प्रमाण है।
यह बागेश्वर बाबा का तीसरा गयाजी प्रवास है। वे इससे पूर्व 2023 और 2024 में भी गयाजी आए थे और पिंडदान किया था। इस बार भी उनके आने को लेकर श्रद्धालुओं और स्थानीय तीर्थ पुरोहितों में खासा उत्साह है। गजाधर लाल कटरियार ने बताया कि “जो सिद्ध पुरुष होते हैं, उनके आने से स्वाभाविक रूप से लोगों में उत्साह होता है। उनकी वाणी और विचार देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक पहुंच चुके हैं। यह भारत के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।”
बता दें कि त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व तब होता है जब किसी व्यक्ति के पितृ, पितामह और प्रपितामह (तीन पीढ़ी) को एक साथ तर्पण दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान इस श्राद्ध से समस्त पितृगण तृप्त होकर वंश को आशीर्वाद देते हैं। साथ ही, एकादश भागवत पाठ भी मोक्षदायक माना गया है, जिसे इस प्रवास के दौरान संपन्न किया जाएगा।
