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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 05:27:12 PM IST
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BIHAR ELECTION : बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में राज्य की तमाम राजनीतिक पार्टी और उससे जुड़े संगठन भी इसकी तैयारी में लग गए हैं। ऐसे में भाजपा के लिए उसके मातृ संगठन के लोग भी पहले से अधिक एक्टिव मोड में नज़र आने लगे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर इसको लेकर यह संगठन कैसे काम कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, इस बार के चुनाव में भाजपा अपनी ताकत पहले से अधिक मजबूत करना चाहती है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से महागठबंधन जिस तरह से रंग में आई है और उसके आक्रामक चुनाव प्रचार को देखते हुए भी बीजेपी और जेडीयू के लिए यह चुनाव उतना भी आसान नहीं होने वाला है। ऐसे में बीजेपी को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अपने मातृ संगठन की याद आई है। इसके बाद बिहार भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं के साथ एक बैठक भी की गई है। इसके बाद यह तय किया गया है कि संघ अब बूथ स्तर तक की रणनीति पर काम करेगा और इसके लिए 5 अहम कदम उठाए जा रहे हैं।
इसके तहत सबसे पहले यह तय किया गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बूथ स्तर पर सक्रियता दिखाएगा। इसके तहत संघ ने अपनी सक्रियता शुरू कर दी है और अब हरियाणा और महाराष्ट्र की तर्ज पर हर विधानसभा सीट पर स्वयंसेवक को सक्रिय किया जा रहा है। इसके लिए बूथ समितियों का गठन कर घर-घर जाकर संपर्क अभियान चलाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए हर वोटर तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया गया है। संघ के कार्यकर्ता घर-घर जाकर माहौल बनाने के काम में जुट गए हैं।
वहीं, बिहार की राजनीति में जातीय गणित अहम होता है। संघ ने स्वयंसेवक को जाति-आधारित समाज के प्रभावशाली लोगों से जुड़ने और संवाद बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसके लिए खास तौर पर आर्थिक तौर पर पिछड़े, ओबीसी और दलित समुदाय के साथ संवाद की रणनीति तय की गई है। बिहार में MY समीकरण के तोड़ के तौर पर विराट हिंदुत्व और हर वर्ग को साथ लेकर चलने और अखिल राष्ट्रवाद के मुद्दे पर संघ का जोर रहेगा।
इसके अलावा संघ के प्रचारक हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर आधारित जनसंवाद करेंगे। मंदिर, सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक सभाओं के जरिए समाज को जोड़ने की योजना है। सोशल मीडिया पर संघ और भाजपा के राष्ट्रवादी एजेंडे को ज्यादा से ज्यादा फैलाने पर जोर दिया जा रहा है।
इसके साथ ही विपक्ष की कमजोरियों को भुनाना कैसे है इसकी भी तरकीब तैयार की गई है। उसके मुताबिक स्वयंसेवक को विपक्ष की खामियों और असफलताओं को जनता के बीच ले जाने का टास्क दिया गया है। विशेषकर महागठबंधन की अंदरूनी खींचतान और सीट शेयरिंग विवाद को प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा।
इसके अलावा तेजस्वी यादव की तरफ से रोजगार और युवाओं के पलायन रोकने के मुद्दे पर जोरदार चुनाव प्रचार किया जा रहा है। इसे देखते हुए युवाओं से चौपाल स्तर पर संवाद किया जाएगा। बड़ी संख्या में बाहर काम करने वाले बिहारियों से संपर्क अभियान शुरू होगा। युवाओं को आकर्षित करने के लिए रोजगार, शिक्षा और स्टार्टअप पर केंद्रित अभियान चलाया जाएगा। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं को संघ का सबसे बड़ा टारगेट माना जा रहा है।
आपको बताते चलें कि, भाजपा के लिए उसके मातृ संगठन के लोग हमेशा से ही मददगार रहे हैं। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार नहीं किया जाता है कि सीधे तौर पर वे चुनाव में बीजेपी की मदद करते हैं। लेकिन, राजनीति को समझने वाले लोग यह जानते हैं कि महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के चुनाव में बीजेपी की सफलता के पीछे संघ की सक्रियता और जमीनी स्तर पर कार्रवाई को भुलाया नहीं जा सकता है। ऐसे में बिहार चुनाव के लिए संघ की यह रणनीति काफी अहम बताई जा र